ईंधन की दुनिया में नया कदम
बायोगैस से खाना पकाएंगे 1 लाख परिवार

नई दिल्ली : खाना पकाने के लिए ईंधन हमेशा एक मुद्दा रहा है. तमाम तरह की लकडि़यों व गोबर के कंडों का ईंधन के तौर पर सदियों से इस्तेमाल होता आ रहा?है, मगर अब फिजा बदल चुकी?है.

पर्यावरण और प्रदूषण जैसे मसले हर बात में पाबंदी लगाते हैं. वैसे भी अब लकडि़यां काटना व जलाना गुनाह माना जाता?है और कच्चा कोयला व पक्का कोयला भी बहुत महंगे होते?हैं. बात घूमफिर कर प्रचलित एलपीजी गैस पर आती है, तो उस की ज्यादातर कमी बनी रहती है. ऐसे आलम में बायोगैस राहत देने वाली साबित हो सकती है. मौजूदा वित्त साल 2016-17 में 1 लाख हिंदुस्तानी परिवारों को खाना पकाने के लिए बायोगैस मुहैया कराने की सरकार की योजना है. इस कदम से 21,90,000 एलपीजी सिलेंडरों की बचत होगी. खाना पकाने के लिए 1 लाख परिवारों को बायोगैस मुहैया कराने का टारगेट ‘नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय’ (एमएनआरई) ने बनाया है. इस टारगेट को मुकम्मल करने का जिम्मा अलगअलग सूबों की सरकारों का होगा. बायोगैस बनाने की कवायद में करीब 22 लाख एलपीजी सिलेंडरों की बचत तो होगी ही, इस के साथ ही खेती के लिए प्रोसेस्ड खाद भी हासिल होगी और प्रोसेस्ड खाद का इस्तेमाल किए जाने की हालत में रासायनिक खाद के इस्तेमाल में कमी आएगी, जो खेती के लिहाज से बेहतर होगा.

मंत्रालय के अंदाजे के मुताबिक 1 लाख घरों में बायोगैस के इस्तेमाल होने से करीब 10,000 टन यूरिया खाद की बचत होगी यानी इस से यूरिया की किल्लत में भी कमी आएगी. एमएनआरई का मानना?है कि 1 लाख घरों में खाना पकाने के लिए बायोगैस का इस्तेमाल होने से पर्यावरण को 4.5 लाख टन कार्बनडाईआक्साइड और 2.5 लाख टन मीथेन की मिलावट से बचाया जा सकेगा. खाना बनाने के लिए बायोगैस के इस्तेमाल हेतु एमएनआरई नेशनल बायोगैस एंड मैन्योर मैनेजमेंट प्रोग्राम (एनबीएमएमपी) चला रहा?है. इस प्रोग्राम का मकसद तमाम घरों में खाना बनाने के लिए साफ ईंधन मुहैया कराने के साथसाथ बायोगैस के बाइप्रोडक्ट के तौर पर खेतों के लिए आर्गेनिक खाद मुहैया कराना?है. इस किस्म की आर्गेनिक खादों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम की अच्छीखासी मात्रा मौजूद होती है. यानी बायोगैस के साथ तैयार होने वाली आर्गेनिक खाद बहुत उम्दा होगी.

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