हरेभरे नीम के पेड़ गांवदेहात से ले कर शहरों के गलीमहल्ले और बड़ी सड़क के किनारे से ले कर हर जगह देखने को मिल जाते?हैं. शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो नीम के पेड़ के बारे में न जानता हो. नीम के पेड़ की हर चीज फायदेमंद होती?है, चाहे वह पत्ती हो, छाल हो या फल निंबोली. नीम की इसी निंबोली को रोजगार का जरीया बनाया गुजरी, मध्य प्रदेश के किसान अभिषेक गर्ग ने. उन्होंने हजारों आदिवासियों को रोजगार भी दिया. गुजरी में उन्होंने नीम का तेल निकालने और खली पाउडर बनाने का प्लांट भी लगाया. ये दोनों ही उत्पाद जैविक खेती में कीटनाशक और पोषक तत्त्वों के रूप में काम आ रहे?हैं.

अभिषेक गर्ग ने बताया, ‘‘जब मैं ने इस काम की शुरुआत की थी, तो उस समय पूरी दुनिया की नजर भारत के नीम, बासमती चावल व हलदी पर लगी हुई?थी. हमारे क्षेत्र को निमाड़ क्षेत्र कहा जाता?है. निमाड़ का मतलब होता?है नीम की आड़. उस समय कृषि विशेषज्ञ डा. गुरपाल सिंह जरयाल ने मेरा ध्यान नीम की ओर दिलाया. जो निंबोली उस समय पानी में ऐसे ही बही जा रही थी, उसी निंबोली को इकट्ठा करने के लिए मैं ने अपने आसपास के क्षेत्रों के लोगों को जोड़ना शुरू किया. गांवों में जा कर लोगों से मिल कर उन्हें निंबोली इकट्ठा करने के लिए जागरूक किया, जिस का मुझे अच्छा परिणाम मिला.

‘‘आज मैं इन्हीं लोगों के जरीए गांवों से हर साल औसतन 1 हजार टन निंबोली इकट्ठा करता हूं. इस से आदिवासियों को तो काम मिला ही, स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिला,

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