भारत में मूली की खेती पूरे साल की जाती है. यह बीज बोने के 1 महीने बाद तैयार हो जाती है. मूली की फसल से 2 महीने बाद खेत खेत खाली हो जाता?है.

मूली की खेती ठंडे इलाकों से ले कर ज्यादा तापामन वाले इलाकों में भी की जा सकती है, लेकिन ज्यादा तापमान वाले इलाकों में मूली की फसल कठोर और चरपरी होती है. मूली की खेती के लिए रेतीली दोमट और दोमट मिट्टियां उम्दा होती हैं. मटियार जमीन में इस की खेती करना फायदेमंद नहीं होता है, क्योंकि उस में मूली की जड़ें सही तरीके से बढ़ नहीं पाती?हैं.

मूली के लिए ऐसी जमीन का चयन करना चाहिए, जो हलकी भुरभुरी हो और उस में जैविक पदार्थों की भरपूर मात्रा हो. मूली के खेत में खरपतवार नहीं होने चाहिए, क्योंकि उन से जड़ों की बढ़वार रुक जाती है.

खेत की तैयारी : मूली की फसल लेने के लिए खेत की कई बार जुताई करनी चाहिए. पहले 2 बार कल्टीवेटर से जुताई कर के पाटा लगा दें, उस के बाद गहरी जुताई करने वाले हल से जुताई करें. मूली की जड़ें जमीन में गहरे तक जाती हैं, ऐसे में गहरी जुताई न करने से जड़ों की बढ़वार सही तरीके से नहीं हो पाती है.

मूली की उन्नत किस्में : मूली की फसल लेने के लिए ऐसी किस्म का चयन करना चाहिए, जो देखने में सुंदर व खाने में स्वादिष्ठ हो. मूली की रैपिड रेड, पूसा चेतवी, पूसा रेशमी, पूसा हिमानी, हिसार मूली नंबर 1, पंजाब सफेद व व्हाइट टिप वगैरह किस्मों को अच्छा माना जाता है.

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