राजस्थान में जोधपुर जिले के अणवाणा गांव के 65 साला किसान मालाराम विश्नोई बीए की पढ़ाई करने के बाद वायु सेना में भर्ती हो गए. वायुसेना में पूरी सेवाएं देने के बाद उन्होंने खेती के काम में नवाचार करने की सोची. राज्य में कृषि विस्तार कार्यक्रम को चलाने के लिए हर 2 आबाद गांवों पर 1 स्थानीय पढ़ेलिखे प्रगतिशील किसान को कृषक मित्र के रूप में ग्राम पंचायत के जरीए चुने जाने का प्रावधान था. लिहाजा मालाराम ने कृषक मित्र बन कर नवाचार शुरू कर दिया. उन्होंने सब से पहले बाजरे की संकर किस्म एचएचबी 67 का बीज तैयार किया. उन्होंने 5 बीघे में बीज उत्पादन किया और 6 क्विंटल बीज पैदा किया. जब बाजरे का भाव बाजार में 10 रुपए प्रति किलोग्राम था, तब उन से 60 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बीज निगम ने बीज खरीदा. इस प्रकार उन्हें नवाचार से अच्छा लाभ मिला. आज भी वे बाजरे का अच्छा उत्पादन लेते हैं और लगभग 15 बीघे में बाजरे की खेती करते हैं. मालाराम ने खरीफ में अरंडी की खेती शुरू की. पहले बूंदबूंद सिंचाई विधि से 5 हेक्टेयर में अरंडी की खेती की और 120 क्विंटल अरंडी पैदा की. मालाराम को नवाचार करने की वजह से हैदराबाद में अरंडी की राष्ट्रीय कार्यशाला में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला. वे एक किसान प्रतिनिधि के रूप में राजस्थान की तरफ से शामिल हुए.

वे खरीफ में ही हर साल 2 हेक्टेयर में कपास लगाते हैं. कपास में नवाचार कर के पौधों की संख्या पूरी रख कर 5 क्विंटल प्रति बीघे तक का उत्पादन करते हैं. मालाराम कृषि विभाग के 2 गांवों अणवाणा व केलावा के कृषक मित्र हैं. पिछले 5 सालों से वे पड़ोसी किसानों को कृषि विभाग की नवीन तकनीकों की जानकारी भी देते हैं. उन्होंने किसानों को कपास के मिलीबग कीट की भी जानकारी दी. उन्होंने कृषि विभाग द्वारा क्षेत्र में सब से पहले केंचुआ खाद की शुरुआत कराई. उन्होंने कुल 9 वर्मीबेड अपने खेत में बनवाए और वर्मी कंपोस्ट बना कर अपने खेत में डाल कर उत्पादन बढ़ाया. मालाराम ने क्षेत्र में पानी की अहमियत को देखते हुए सब से पहले 1995 में 30 बीघे में फव्वारा सिंचाई व्यवस्था लगाई और 2008 में बूंदबूंद सिंचाई तकनीक अपने खेत पर 5 हेक्टेयर खेत में लगाई है. मालाराम ने हाल ही में 10 बीघे में सरसों की खेती कर के 4 क्विंटल प्रति बीघे का उत्पादन लिया. पिछले साल उन्होंने 8 बीघे में 9 क्विंटल जीरा पैदा किया और 5 बीघे में 35 क्विंटल गेहूं पैदा किया. गेहूं की नई किस्म राज 4037 अच्छी साबित हुई. मालाराम ने पड़ोसी किसानों को भी बीज मुहैया करा कर लाभ दिलाया. वे 5 बीघे में ईसबगोल और 2 बीघे में प्याज की खेती करते हैं.

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