लेखक- डा. प्रेम शंकर, डा. एसएन सिंह

सब्जियों के कुल उत्पादन में जायद सब्जियों का प्रमुख स्थान है. गरमी के महीनों में ये मुख्य आहार का काम करती है. अन्य ऋतुओं की फसलों की तरह इन में भी कीटों का प्रकोप होता है, जिस से उत्पादन और गुणवत्ता पर बुरा पड़ता है. इसलिए यह जरूरी है कि किसान भाइयों को जायद की सब्जियों में नुकसान पहुंचाने वाले कीटों और उन के प्रबंधन के बारे में पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए.

फलमक्खी

यह कद्दू परिवार की सब्जियों जैसे: लौकी, करेला, कद्दू, खीरा, तोरोई, खरबूजा, तरबूज आदि को हानि पहुंचाने वाला प्रमुख कीट है. प्रौढ़ मक्खी भूरे रंग की होती है, जिस के शरीर पर दो पारदर्शक पंख होते हैं और टांगें पीले रंग की होती हैं. सूंडी जिन्हें मैगट कहते हैं, पीले रंग की होती हैं. मैगट के शरीर का अगला हिस्सा मोटा, हलका काला और पिछला हिस्सा बेलनाकार होता है.

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नुकसान के प्रकार

फलों को नुकसान मैगट पहुंचाते हैं, जबकि मादा मक्खी अपने नुकीले डंक की सहायता से अंडे देती है, जिस से अंडे दिए गए स्थान पर रस निकलना प्रारंभ हो जाता है. बाद में उस स्थान पर भूरा काला धब्बा बन जाता है.

मक्खी जिस स्थान पर अंडे देती है, उस जगह के ऊतक नष्ट हो जाते हैं. इस से फल टेढ़ेमेढ़े हो जाते हैं. अंडों से सूंडि़यां निकलने के बाद फलों के अंदर घुस कर खाना शुरू कर देती हैं, जिस से फलों में सड़न उत्पन्न हो जाती है और उन का गूदा मटमैला हो जाता है. कीट के प्रकोप के कारण सब्जियां खाने और व्यापार के लायक नहीं रह जाती हैं.

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