मार्च महीने में रबी की तमाम खास फसलें पकने की राह पर होती हैं. गेहूं की बालियों में दूध तैयार होने लगता है और साथ ही दाने बनने शुरू हो जाते हैं. लिहाजा, फसल का खासतौर पर खयाल रखना चाहिए. गेहूं की बालियों में दूध बनने के दौरान पौधों को पानी की ज्यादा दरकार होती है, ऐसे में खेतों की सिंचाई का खास खयाल रखें. मार्च में तिलहनी फसल सरसों की फसल पक कर तैयार हो चुकी होती है. जब सरसों फलियां पक कर सुनहरेपीले रंग की हो जाएं, तो फसल की कटाई कर लेनी चाहिए.

गन्ने की नई फसल की बोआई भी मार्च में शुरू हो जाती है, बोआई करने से पहले गन्ने के टुकड़ों को उपचारित करना न भूलें. आजकल गन्ना बोने के लिए शुगरकेन प्लांटर का इस्तेमाल किसान करने लगे हैं. खेत में गन्ना बोने से पहले अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद जरूर डालें गन्ने के साथ सहफसली खेती भी की जा सकती है. गन्ने के 2 कूंड़ों के बीच लोबिया, मूंग या उड़द बो सकते हैं. चारे के लिहाज से बोया जाने वाला मक्का भी 2 कूंड़ों के बीच लगाया जा सकता है. इस तरह गन्ने के साथ अतिरिक्त फसलें बो कर किसान ज्यादा फायदा उठा सकते हैं.

दलहनी फसल मूंग की बोआई का इरादा हो, तो इस काम को 15 मार्च के बाद कर सकते हैं. आमतौर पर मूंग की बोआई का काम 15 मार्च से 15 अप्रैल के दौरान निबटाना मुनासिब होता है. बोआई करने से पहले बीजों को उपचारित करना न भूलें. बोआई लाइनों में करें पिछले दिनों बोई गई सूरजमुखी के खेतों पर नजर डालें. यदि खेतों में नमी कम दिखाई दे, तो जरूरत के हिसाब से सिंचाई करें. यदि खेत में पौधे ज्यादा घने दिखाई दें, तो अतिरिक्त पौधे उखाड़ दें. आलू की फसल भी इन दिनों पूरी तरह तैयार हो जाती है. यदि फसल पूरी तरह तैयार हो चुकी हो, तो जल्दी से जल्दी उस की खुदाई का काम खत्म करें.

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