काफी तामझाम के साथ पिछले साल कुछ राज्यों में शुरू की गई ई मंडी फिलहाल किसानों से काफी दूर नजर आ रही?है. ज्यादातर किसान इस में खास दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. पिछले दिनों केंद्र सरकार ने माना है कि ई कृषि बाजार में किसानों की दिलचस्पी नहीं जग सकी है. इस में किसानों की दिलचस्पी बढ़ाने और ज्यादा किसानों को इस से जोड़ने के लिए योजना बनाने की दरकार है. अब ई मंडी को सहकारी बैंकों से जोड़ने की बात की जा रही है. जानकार बताते हैं कि किसानों को ई मंडी से जोड़ने के लिए सहकारी बैंकों को?भी उस से जोड़ने की जरूरत?है. गौरतलब है कि अधिकतर किसानों के खाते सहकारी बैंकों में ही हैं. ई मंडी किसानों और अनाज कारोबारियों के बीच जगह नहीं बना सकी है. कृषि विभाग का दावा है कि पिछले साल तक 10 राज्यों में 250 अनाज मंडियों को इलेक्ट्रोनिक सिस्टम से जोड़ा जा चुका है, जबकि हकीकत यह है कि 250 ई मंडियों में से केवल 100 ही काम कर रही हैं.

केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह का मानना है कि सभी राज्यों के कृषि विभागों को अपनेअपने राज्यों में ई मंडी को ले कर वर्कशाप आयोजित करने और किसानों को इस के बारे में जानकारी देने की जरूरत है. अभी किसानों के लिए यह मुश्किल और समझ के बाहर की चीज लग रही है, जिस वजह से किसान ई मंडी से कतरा रहे हैं. नकदी की किल्लत को दूर करने में ई मंडी की खासी भूमिका हो सकती है. आनलाइन भुगतान से किसानों और कारोबारियों को नकदी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा. किसान रामप्रवेश सिंह कहते हैं कि ई मंडी से जुड़ने पर बड़े किसानों और कारोबारियों को फायदा हो सकता है. कोई संगठन या समूह यदि इस से जोड़ा जाए तो उन्हें ई मंडी से ज्यादा फायदा हो सकता है. छोटे और मंझोले किसानों को खास फायदा नहीं है, इसलिए वे ई मंडी में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं.

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