अकसर ही पशुपालक या किसान पशु खरीदने के मामले में ठगी और धोखाधड़ी के शिकार हो जाते हैं. बिचौलियों के चक्कर में फंस कर किसान महंगी कीमत पर दुधारू पशु तो खरीद लेते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि पशु से उतने दूध का उत्पादन नहीं हो रहा है, जितना बिचौलिए या व्यापारी ने बताया था. तब किसान ठगा महसूस करता?है और आमदनी बढ़ाने के मकसद से खरीदा गया दुधारू पशु उस के लिए सिरदर्द और खर्चीला साबित होता है. इस तरह से दुधारू पशु के जरीए आमदनी बढ़ाने का सपना टूट जाता है. उस समय पशुपालक के पास हाथ मलने के अलावा और कोई चारा नहीं रह जाता है. इस से बचने के लिए जरूरी है कि किसान किसी दूसरे पर भरोसा करने के बजाय खुद दुधारू पशुओं को परखने की जानकारी हासिल कर लें.

दुधारू पशु को खरीदते समय किनकिन बातों को देखने, जानने और समझने की जरूरत होती है अगर किसानों को यह सब पता हो, तो वे किसी के झांसे में नहीं फंसेंगे और तब पशु उन के लिए आमदनी बढ़ाने का जरीया साबित होंगे. दुधारू पशुओं को खरीदते समय उस के दूध उत्पादन की कूवत के साथसाथ शारीरिक बनावट, स्तन प्रणाली, उम्र, सेहत, प्रजनन कूवत और वंशावली के बारे में पता करना जरूरी?है. 

शारीरिक बनावट : वेटनरी डाक्टर सुरेंद्र नाथ बताते हैं कि अच्छे दुधारू पशु का शरीर आगे से पतला और पीछे से चौड़ा होता है. उस के नथुने खुले हुए और जबड़े मजबूत होते हैं. उस की आंखें उभरी हुई, पूंछ लंबी और त्वचा चिकनी व पतली होती है. छाती का हिस्सा विकसित और पीठ चौड़ी होती है. दुधारू पशु की जांघ पतली और चौरस होती है और गर्दन पतली होती है. उस के चारों थन एकसमान लंबे, मोटे और बराबर दूरी पर होते हैं.

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