यह झारखंड सरकार के निकम्मेपन का ही नतीजा है कि किसान भारी मात्रा में उपजे टमाटरों को खरीदार न मिलने के कारण नजदीकी टाटा रांची राजमार्ग एनएच 33 पर फेंकने को मजबूर हो गए. बताया जाता है कि बाहर के व्यापारियों को 50 पैसे प्रति किलोग्राम के हिसाब से देने के बावजूद उन्होंने टमाटरों की खरीदारी में जरा भी रुचि नहीं दिखाई.

वैसे सर्दी का मौसम टमाटर उत्पादन के लिए सब से अच्छा होता है. इस समय टमाटर सहित तमाम सब्जीभाजियों की बंपर खेती होती है. खेती करने वाले किसान दूसरी सब्जियों के मुकाबले टमाटर की खेती करने में ज्यादा रुचि दिखाते?हैं, क्योंकि टमाटर की खेती में ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं होती. टमाटर एक ऐसी सब्जी है, जो खाने के स्वाद को बढ़ाती है. इस में विटामिन भी भरपूर होता?है. किसी भी सब्जी में टमाटर डाल कर खाना भारत का रिवाज?है. सलाद के रूप में इस का काफी ज्यादा इस्तेमाल होता है. इस के बगैर सब्जी बेमजा हो जाती है. यही कारण है कि इस की मांग हर घर में हमेशा बनी रहती है.

टमाटर की खेती के लिए नमी की बहुत जरूरत होती?है, इसीलिए इस की खेती के लिए जाड़े का मौसम सब से सही होता?है. बेमौसम में जब टमाटर की उपज नहीं होती, तब इस की मांग काफी बढ़ जाती है. ऐसी हालत में इस के दाम उछल कर 70-80 रुपए प्रति किलोग्राम तक हो जाते हैं. वैसे सामान्य दिनों में इस की कीमत 20 से 25 रुपए प्रति किलोग्राम तक हो जाती है.

ज्यादा मांग को देखते हुए तकरीबन सभी किसान अपने खेतों में टमाटर जरूर लगाते?हैं. इस की खेती काफी आसान है. बस एक बार पौधा रोप कर 2 से 3 बार पानी देने की जरूरत होती?है. इस की देखभाल करने की भी ज्यादा जरूरत नहीं होती. टमाटर का पौधा करीब 3 से 4 फुट ऊंचा होता?है. जब उस में टमाटर लगने लगते?हैं, तो भारी होने की वजह से वह झुक जाता?है. ऐसे में उसे बांस की छड़ी से बांध कर खड़ा रखा जाता है. पूरे मौसम में 1 पौधे से 50 से 70 टमाटर तोड़े जाते हैं.

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