जनवरी का महीना पूरी दुनिया में जश्न का महीना माना जाता है. वाकई नए साल की कशिश कुछ खास ही होती है. 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी तक हर जगह जश्न का आलम रहता है. पूरे साल खेती के कामों में जूझते रहने वाले किसान भी नए साल का त्योहार पूरी शिद्दत यानी लगन से मनाते हैं.

मेहनतकश किसान भी जनवरी को जश्न का महीना मानते हैं, मगर इस का मतलब यह नहीं कि वे खेती के कामों से एकदम तोबा ही कर लेते हों. मौजमस्ती एक तरफ और काम दूसरी तरफ, यही सच्चे किसानों का दस्तूर होता है.

इनसान होने के नाते वे बेशक खानेपीने या नाचनेगाने का कोई मौका नहीं छोड़ते, लेकिन खेती के कामों की कीमत पर कतई नहीं. मौसम व वक्त से जुड़े काम बदस्तूर चलते रहते हैं.

पहली जनवरी को होने वाले नए साल के जश्न के अलावा किसान 13 जनवरी को लोहड़ी का पर्व भी जोरशोर से मनाते?हैं और 14 जनवरी को मनाया जाने वाला खिचड़ी का त्योहार भी उन्हें बहुत सुहाता?है. खिचड़ी यानी मकर संक्रांति वाकई किसानों का पसंदीदा पर्व होता है.

फिर 26 जनवरी के दिन वे गणतंत्र दिवस भी पूरी शिद्दत से मनाते हैं और खुद को मनोज कुमार की तरह भारत कुमार के रंग में रंगा पाते हैं. मगर इस ठंडेठंडे महीने में वे तैयार हो रही रबी की फसलों से बेजार कतई नहीं होते. आइए डालते?हैं एक नजर जनवरी के दौरान किए जाने वाले खेती के कामों पर :

* जनवरी में गेहूं के खेतों पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है. इस दौरान करीब 3 हफ्ते के अंतराल पर गेहूं के खेतों की सिंचाई करते रहें.

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