लेखक- डा. किरन पंत, कृषि विज्ञान केंद्र, ढकरानी, देहरादून

मसालों के साथसाथ अदरक को दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. पहले किसान फसल को बाजार की मांग के मुताबिक बेचते थे और बाकी बचे अदरक की ओर ध्यान न दे कर उसे किसी इस्तेमाल में न ला कर उसे यों ही फेंक देते थे. जब किसान ताजा अदरक मंडी में भेजता है, तो उसे अपने उत्पाद के पूरे दाम नहीं मिल पाते थे, इसलिए इस अरदक के ऐसे व्यावसायिक पदार्थ बनाए जाएं तो फसल से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा उठाया जा सकता है. अदरक का इस्तेमाल अचार, चटनी और उद्योगों में भी किया जा सकता है.

खाना खाने से पहले अदरक की फांकों को नमक के साथ खा लेने से भूख बढ़ती है और पाचन क्रिया भी तेज हो जाती है. इस के सेवन से गले का बलगम घट जाता है. वायु, कफ, खांसी, वात वगैरह में राहत मिलती है. यह जोड़ों के दर्द, सूजन, भूख में कमी वगैरह में फायदेमंद साबित होता है.

अदरक का भंडारण

* पके अदरक को भंडारण करने से पहले उसे अच्छी तरह साफ कर लेते हैं. उस की जड़ें काट कर, मिट्टी से साफ कर के पानी में धोते हैं और कमरे में 3-4 दिन तक फैला कर सुखाते हैं. बिना बीमारी वाले और साफसुथरे अदरक को छांट कर अलग कर देते हैं. उस के बाद अदरक को छायादार और ठंडी जगह पर रख कर उपचारित करते हैं.

* बीज के लिए प्रकंदों का भंडारण छाया में बनाए गए गड्ढों में करना चाहिए.

* बीज प्रकंदों के भंडारण के लिए कच्चे गड्ढों की अच्छी तरह सफाई करें और उसे एक हफ्ते तक धूप में खुला छोड़ दें, जिस से कि गड्ढे में नमी न रहे.

* भंडारण करने से पहले प्रकंदों को कार्बंडाजिम (100 ग्राम) + मैंकोजेब (250 ग्राम) + क्लोरोपायरीफास (250 मिलीलिटर) को 100 लिटर पानी में मिला कर घोल में प्रकंदों को एक घंटे तक उपचारित करें.

* उपचारित अदरक को ठंडे और सूखी जगहों पर गड्ढों में स्टोर किया जा सकता है. स्टोरेज में 65 फीसदी नमी और 12-13 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान होना चाहिए.

* गड्ढे में प्रकंदों को पूरी तरह न भरें और गड्ढों को ऊपर से लकड़ी के तख्ते से ढक दें.

अदरक को सुखाना

आमतौर पर निर्यात करने के मकसद से रंगीन और रंगहीन अदरक बनाया जाता है. चाहे इस में ऊपर की छाल नहीं हो. रंगीन, साफ चमका हुआ अदरक बनाने के लिए सब से पहले इस के टुकड़े, जिन्हें गांठें कहते हैं, धोया जाता है, फिर खुली धूप में सुखा लेते हैं.

इस विधि द्वारा सुखाए अदरक का आकार बराबर गांठों को खुरच कर और धो कर खुली धूप में सुखाया जाता है और कई बार ब्लीचिंग करने के लिए सल्फर का धुआं या फिर थोडे़ समय के लिए चूने के घोल में डाल लें.

अदरक की सौंठ

यह पके अदरक से बनने वाला सब से प्रचलित उत्पाद है, जिस का इस्तेमाल कई तरह के मिक्स मसालों, सूप, कंफेक्शनरी और आयुर्वेदिक दवा बनाने में किया जाता है, इसलिए अगर किसान अदरक की सोंठ बना कर बेचें तो वे ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

सब से पहले अदरक को धोया जाता है, ताकि गंदगी जैसे मिट्टी और दूसरे कण वगैरह गांठों से निकल जाएं और सब से अहम बात इस को छीलना है. इस के द्वारा एक तो छिलका निकल जाता है और दूसरी ओर सुखाने की प्रक्रिया तेज करता है.

छिलका उतारने के लिए बोरी और बांस की टोकरी को इस्तेमाल में लाया जाता है. अब धोने के बाद अदरक को खुली धूप में तकरीबन एक हफ्ते के लिए सुखाया जाता है और उस के बाद फिर मसला जाता है, ताकि उस में चमक आ जाए.

इस काम के द्वारा तकरीबन 16-25 फीसदी तक सौंठ हासिल होती है. हर इलाके की सौंठ तैयार करने की अपनी अलग तकनीक होती है, जैसे कालीकट की सौंठ, कोचीन की सौंठ, जैमायका की सौंठ, नाइजीरियन सौंठ, आस्ट्रेलियाई सौंठ वगैरह इलाकों के नाम से जानी जाती हैं.

तकनीक के आधार पर सौंठ 5 तरह की होती है,

  1. कोटैड सौंठ,
  2. काली सौंठ, 
  3. स्क्रैप्ड सौंठ,
  4. अनकोटैड सौंठ और
  5. ब्लीच्ड सौंठ.

कोटैड या अनपील्ड सौंठ :

कोटैड या अनपील्ड सौंठ बिना छिले अदरक से बनाते हैं. अदरक की गांठों को तोड़ कर उन पर लगी मिट्टी की सफाई करते हैं. जड़ वगैरह काट कर निकाल देते हैं और पानी में अच्छी तरह से धो कर धूप में सुखाते हैं. छिलकेदार अदरक होने से उस के गूदे को नुकसान नहीं होता है, इसलिए सौंठ ज्यादा मिलती है और उस में तेल व ओलियोरेजिन की मात्रा ज्यादा होती है. कोटैड सौंठ का इस्तेमाल तेल निकालने और ओलियोरेजिन के लिए किया जाता है.

काली सौंठ :

इसे बनाने के लिए बिना छिले अदरक को पानी में 10-15 मिनट तक उबालते हैं, उसे रगड़ कर छील देते हैं. ऐसी सौंठ का रंग काला हो जाता है.

रफ स्क्रैप्डसौंठ :

इसे बनाने के लिए अदरक साफ कर के उस की बड़ीबड़ी गांठें तोड़ लेते हैं. इस तरह से छिले अदरक को धूप में सुखाते हैं.

भारत की कोचीन और कालीकट सौंठ इसी विधि से बनाई जाती है. अदरक को रातभर पानी में भिगोने से छीलने में आसानी होती है.

पील्ड या अनकोटैड सौंठ :

पील्ड या अनकोटैड सौंठ और स्क्रैप्ड सौंठ पूरी तरह छिले अदरक से बनाई जाती है. इसे बनाने के लिए अदरक पर से छिलका हटा देते हैं.

छीलने के लिए बांस के नुकीले टुकड़ों या स्टील के चाकू की नोक का इस्तेमाल करते हैं.

छिलका ऐसे हटाते हैं, जिस से गूदे पर खरोंच न आने पाए. छिले हुए अदरक को पानी में रखते हैं. पानी में 1 फीसदी की दर से नीबू का रस डालने से अदरक ज्यादा सफेद लगता है और वह नीबू जैसा महकने लगता है.

छिले हुए अदरक को ज्यादा नहीं धोना चाहिए. क्योंकि उस के कई तत्त्व पानी में बह जाते हैं. अब अदरक को धूप में तकरीबन एक हफ्ते तक सुखाते हैं. पील्ड सौंठ चिकनी व सुंदर होती है.

ब्लीच्ड सौंठ :

ब्लीच्ड सौंठ भी छिले हुए अदरक से बनाते हैं. छीलने के बाद अदरक को चूने के पानी में भिगोते हैं और धूप में थोड़ा सुखाते हैं. यह काम कई बार करते हैं, जिस से अदरक पर चूने की एक परत चढ़ जाए. अदरक सूखने में तकरीबन 10 दिन का समय लगता है.

अब इस सौंठ को मोटे कपड़े या बोरे के बीच में हलका सा रगड़ते हैं, जिस से उस पर चिपका फालतू चूना और छिलका छूट जाए. इस काम से सौंठ चिकनी, सफेद और आकर्षक बन जाती है.

अदरक को नमक के घोल में परिरक्षित करना

इस तरह से बनाए गए पदार्थ को बिना खराब हुए एक साल से भी ज्यादा समय तक सुरक्षित रख सकते हैं और फिर इस का इस्तेमाल सलाद, सब्जी पकाने के लिए और अचार बनाने के लिए भी करते हैं.

इस घोल में परिरक्षित करने के लिए अदरक को छील कर, टुकड़ों में काट कर शीशे के मर्तबान और जार में रखते हैं.

अदरक को नमक के घोल में परिरक्षित करने के लिए 1 भाग अदरक के टुकड़ों, 1.25 भाग नमक का घोल बनाने के लिए एक लिटर पानी में 50 ग्राम नमक मिलाएं. 12 मिलीलिटर एसिटिक एसिड और 11 मिलीग्राम पोटैशियम मैटाबाई सल्फाइड डालें.

अदरक का तेल

इस तेल में अदरक की महक पाई जाती है. इस का इस्तेमाल परफ्यूम, साबुन उद्योग और दवा बनाने में किया जाता है.

इस के लिए सौंठ को मोटा पीसते हैं और स्टीम डिस्टिलेशन विधि से तेल निकालते हैं.

इसे बनाने के लिए कोटैड सौंठ का इस्तेमाल करना चाहिए. 100 किलोग्राम सौंठ से 1.5-3.0 किलोग्राम तक तेल हासिल होता है.

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