पतियों को लगातार हड़काने वाली औरतों को दिल्ली के उस पेंटर पति से सबक लेना होगा, जिस ने गुस्से में आ कर अपने 8 वर्षीय बेटे के सामने पत्नी को सिर पर फावड़ा मारमार कर मार डाला और फिर लाश को बोरे में भर कर सड़क पर डाल आया. यह पति मजदूरी करता था पर अच्छे पढ़ेलिखे घरों में लाखों पति ऐसे होंगे जिन का खून उस पेंटर पति की तरह उबलता हो. दरअसल, औरतें भूल जाती हैं कि पति कैसा भी हो, कम से कम उन की जबान चलाने से तो वह बदल नहीं सकता. कभीकभार का गुस्सा तो ठीक है पर लगातार शिकायती लहजा अपनाए रखना, रातदिन पतियों की गलतियों, कमियों, सुविधाओं के अभावों, रिश्तेदारों के व्यवहारों पर कमैंटरी करना चाहे औरतें अपना अधिकार व कर्तव्य समझती हों पर पतिपत्नी के बीच विवादों की जड़ आमतौर पर यह लगातार नैगिंग ही होती है जो अच्छेभले पति को पटरी से उतार देती है. पतिपत्नी में डोमैस्टिक वायलैंस की जड़ में भी यही बड़बड़ाहट होती है और पतियों का शराब या दूसरी औरतों का सहारा लेने के पीछे यही वजह भी होती है. यह संभव है कि बहुत पतियों में बहुत कमियां हों पर यह पक्का है कि वे कमियां पत्नी के आदेशों, उपदेशों, तानों, कड़वे वचनों, रोनेधोने, धमकियों से दूर नहीं हो सकतीं.
पतिपत्नी का जोड़ा एक विशिष्ट सामाजिक देन है और जब तक जोड़ा बना है दोनों एकदूसरे का पूरक बनें. बायां हाथ हर वह काम नहीं कर सकता जो दायां हाथ कर सकता है और पत्नी को बाएं हाथ का पूरक बनना होता है. उसी तरह पति को पत्नी के कामों में नुक्स निकालने की जगह खुद काम करने की आदत डालनी चाहिए. हर पति और हर पत्नी अलगअलग होते हैं. पड़ोस के या रिश्ते के पतिपत्नी क्या कर रहे हैं या क्या कर सकते हैं, यह आदर्श बात नहीं बन सकती.
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