प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 18 सौ करोड़ रुपए के खर्च पर 70 प्रोजैक्ट शुरू किए हैं. इन स्मार्ट शहरों के कुछ इलाकों में बढि़या मकान होंगे, पक्की साफ सड़कें होंगी, खेलने के मैदान होंगे, साइकिल सवारों के लिए अलग ट्रैक होंगे. वैसे, सरकार का 50 हजार करोड़ रुपए खर्च कर के 100 शहरों को स्मार्ट शहर बनाने का इरादा है.

इन शहरों की प्लानिंग में जो बात साफ नजर आ रही है, वह यह है कि स्मार्टनैस छोटे से इलाके में होगी बाकी शहर में नहीं. सरकार द्वारा टैक्स लगालगा कर मोटा पैसा वसूला जाएगा. अब यह टैक्स किस पर लगेगा? अंबानी, अदानी, बिड़ला पर क्या? वे तो जनता को वैसे ही धोखा दे रहे हैं. उन्होंने जनता की कमाई और बचत के जमा लाखोंकरोड़ रुपए बैंकों से उधार लिए हुए हैं और लौटाने की चिंता ही नहीं है.

यह पैसा आएगा आम आदमी से. नरेंद्र मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली जनरल सेल्स टैक्स का कानून बनवाने के लिए पीछे पड़े हैं, ताकि उस से अरबों रुपए के नए टैक्स लगा सकें. जनता का कोई काम मोटा टैक्स दिए बिना न हो.

देश को जरूरत है स्मार्ट स्लमों की, जहां गरीब इज्जत की जिंदगी जी सकें. वहां पानी मिल सके. वहां धूप आती हो. वहां बच्चों को गलियों में क्रिकेट न खेलना पड़े. जहां चलने की जगह हो, जहां डाक्टर भी हो और किराने की दुकान भी. इन लोगों को सुंदर बाग, पेड़दार सड़क नहीं चाहिए, केवल सिर पर बारिश में न टपकने वाली छत चाहिए.

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