इंफ्लूएंसर्स को अब काफी मोटा पैसा मिलने लगा है. मार्केटिंग वाले इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर पौपुलर हो रहे कैरेक्टर्स को अब अपने मौडलों की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि इन की पहले से ही काफी फैनफौलोइंग होती है. इस के लिए कंपनियों ने अब फिल्मस्टार्स से ज्यादा इन इंफ्लूएंसर्स पर खर्च करना शुरू कर दिया क्योंकि जितने में फिल्म या क्रिकेट स्टार आता है उतने में बीसियों इंफ्लूएंसर्स के बंधेबंधाए औडियंस मिल जाते हैं.
लेकिन कंज्यूमर मिनिस्ट्री ने इस आय में अब टांग अड़ा दी है और फिलहाल तो हैल्थ संबंधी प्रोडक्ट्स की पब्लिसिटी करने के लिए इंफ्लूएंसर्स का विशेषज्ञ होना होगा और यह बात उसे अपनी रील या शौर्ट वीडियों में स्पष्ट करनी होगी.
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कौन इसे मौनीटर करेगा. इंफ्लूएंसर्स की रील्स की संख्या बहुत ज्यादा है. सो, कंज्यूमर मिनिस्ट्री एक भारीभरकम पूरा डिपार्टमैंट बनाए जो हर रोल को देखे और उस के गलत होने पर ऐक्शन ले सके. इस में जो खर्च होगा वह उस रोकटोक से जनता को बचाने वाले पैसे से कहीं ज्यादा होगा.
इस में शक नहीं कि इंफ्लूएंसर्स बिना जांचेपरखे कुछ भी की मार्केटिंग करने को तैयार रहते हैं क्योंकि जो पैसा मिल रहा होता है, उस की उन्होंने कल्पना भी नहीं की होती है.
हैल्थ ही नहीं, इंफ्लूएंसर्स दूसरे प्रोडक्ट्स की भी मार्केटिंग करने लगे हैं जिन के दाम तो बहुत होते हैं पर उपयोगी उतने नहीं होते. बेचने वाले जानते हैं कि अगर कुछ हजार पीस भी बेच लिए तो उन्हें मुनाफा ही मुनाफा होगा और अगर ग्राहक बाद में शिकायत करे तो उसे किसी तरह का पता तक नहीं मिलेगा.
कंज्यूमर प्रोटैक्शन एक्ट का इस्तेमाल एक सामान्य नागरिक कम करता है. पेशेवर लोग इस का इस्तेमाल अकसर करते रहते हैं. ऐसे पेशेवर अब प्रोडक्ट बेचने वाले के साथसाथ सीधेसादे इंफ्लूएंसर पर भी दावा ठोक देंगे चाहे वह 50 मील दूर रहता हो या 500 मील दूर. उन्हें सिर्फ पेमैंट और खरीद की रसीद दिखानी है और मामला चालू हो जाएगा.
यह खतरनाक और एक पनप रही नई विधा को कुचलने के समान है. धर्मगुरु जिस तरह के थोथे आश्वासन देते रहते हैं उन के खिलाफ तो कंज्यूमर मिनिस्ट्री चुप रहती है पर इन बेचारों और बेचारियों के लपेटे में ले रही है जिन्होंने अपनी कल्पना के सहारे कुछ पैसे बनाए.