सोशल मीडिया का सब से गलत इस्तेमाल हिंदू कट्टरपंथियों द्वारा मुसलिम भारतीयों को मांबहन की गालियां देने और बारबार उन्हें पाकिस्तान जाने को कहने में हो रहा है. उम्मीद थी कि इंटरनैट का इस्तेमाल दुनिया को एक करने में किया जाएगा और दूरदराज के लोग जिन्हें जानते भी नहीं हैं, उन के दोस्त बनेंगे, एकदूसरे के रहनसहन के बारे में जानेंगे और सीमाएं मिटा देंगे.
हो उलट रहा है, भारत में ही नहीं, दुनिया भर के देशों में इंटरनैट का इस्तेमाल घृणा फैलाने और गालियां देने में ज्यादा हो रहा है, प्यार और भाईचारा फैलाने में कम. इंटरनैट के जरिए शहरों, राज्यों व देशों की सीमाएं लांघते हुए गालियों को इस बुरी तरह दुनिया भर में फैलाया जा रहा है कि बहुत से लोग रोमन में लिखी भाषाई गालियों को समझ नहीं पाते. मुसलिमों के लिए भारत में इस बुरी तरह मां को ले कर कहे अपशब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है कि फेसबुक ट्रांसलेटर ने एक हिंदी गाली का अनुवाद ‘मुसलिम’ कर दिया. यह उन्होंने ठीक कर लिया पर मूल सवाल है कि ऐसा होता ही क्यों है? इंटरनैट ने एकदूसरे के प्रति अपने पूर्वाग्रह जताने का काम क्यों किया? उस ने ज्ञान कम क्यों बांटा, बकवास क्यों बांटी? अभी हिलेरी क्लिंटन के डोनल्ड ट्रंप के बारे में कहे गए कुछ बयानों पर पाठकों के कमैंट पढ़ने को मिले. अमेरिकी शिक्षित रिपब्लिकन भी डोनल्ड ट्रंप की कमियों को स्वीकार करने की जगह बिल क्लिंटन के बारे में अपशब्द इस्तेमाल करने लगे. बहस कुछ हो रही हो पर जल्दी गालीगलौज चालू हो जाती है. भारत में पहले गौरक्षक आंदोलन छेड़ा गया ताकि गाय का व्यापार करने वाले मुसलमान व मरी गायों का चमड़ा उतारने वाले दलितों को धमकाया जा सके और ऊंचे हिंदुओं को मंच दिया जा सके. तुरंत इंटरनैट गौ सेवा के संदेशों से भर गया. जिन्होंने कभी गाय का दूध नहीं पीया हो और जो गाय को छोड़ कर बहुत से जानवरों का मांस खाते हों, उन्हें अचानक अहिंसा के गुण याद आ गए और सोशल मीडिया को रणक्षेत्र बना डाला.
अब यही बात तिहरे तलाक पर हो रही है. जिन लोगों ने अपने यहां दहेज, कुंडली, परदेस, औरतों के बलात्कार को नहीं छोड़ा वे उन औरतों के लिए हमदर्दी जताने लगे जिन्होंने तिहरे तलाक को कभी सुना भी नहीं, बेबात में मुसलिम औरतों के हमदर्द कुकुरमुत्तों की तरह सोशल मीडिया की पथरीली जमीन पर उग आए. सोशल मीडिया अब दुनिया के लिए आफत बन रहा है. अब जरूरी होने लगा है कि इस में प्राइवेसी समाप्त हो. जिस ने जो कहना है कहे पर पूरी तरह अपना परिचय देते हुए. हर ईमेल के साथ किसी साइट पर उस व्यक्ति, फर्म, संस्था का पूरा पता, नाम, फोन नंबर हो. यह सैंसरशिप नहीं पर सड़क पर चलते हुए गाली देने वाले के चेहरे से मुखौटा उतरवाना है. सोशल मीडिया का उपयोग अपनों के लिए हो. फेसबुक या व्हाट्सऐप के जरिए अनजानों को दोस्ती के लिए न उकसाएं. यह घृणा का व्यापार बंद हो.
VIDEO : प्री वेडिंग फोटोशूट मेकअप
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