धर्म का धंधा अपनेआप में धोखेबाजी का है जिस में कल्पित भगवान, देवी, देवता, अवतार बना दिए है और कहां गया है कि इन को पूजोगे तो ही सुखी रहोगे, पैसा आएगा और इस के लिए उन के दर्शन भी करने जाना होगा और वहां दान भी देना होगा. इस महाप्रचार का लाभ अब ही नहीं सदियों से चोरउचक्के भी उठाने लगे हैं. चारधाम यात्रा का बड़ा गुणगान किया गया है और उत्तराखंड की कमजोर पहाडिय़ों पर चौड़ी सडक़ें, होटल, धर्म यात्राएं, ढांबे, पाॄकगे, एम्यूजमैंट सैंटर, रोय वे बनने लगे हैं. अब यहां ले जाने के लिए फर्जी ट्रैवल एजेंसियों भी इंटरनेट पर छा गई हैं.

बहुत सी ट्रैवल एजेंसियां बहुत सस्ते पैकेज देने लगी हैं और एक बार पैसा अकाउंट में आया नहीं कि वे गायब. चारधाम की भव्य तस्वीरों, देवीदेवताओं की मूॢतयां, संस्कृत क्लोकों व मंत्रों से भरपूर ये वैवसाइटें शातिर लोग बनाते है और आमतौर पर खुद को किसी संतमहंत का शिष्य बनाते हैं. जिन्हें वैसे ही मूर्ख बनाना आसान है, वे सस्ते पैकेज के चक्कर में और आसानी से मूख बन रहे हैं.

अब यह काम इतने बड़े पैमाने पर हो रहा है कि पुलिस भी सिर्फ चेतावनी देने के अलावा कुछ नहीं कर सकती. इंटरनेट पर जाओ, गूगल खर्र्च करो तो इन के एड वाले रिजल्ड सब से पहले आ जाते हैं, गूगल को पैसे लेने से मतलब और वह कमी भी विज्ञापनदाता की बैकग्राउंड चैक नहीं करता. यह काम यूजर का है. यूजर की जाति गुम है नई को वह चारधाम यात्रा कर के पुण्य कमा कर अपना वर्तमान और भविष्य बिना काम किए  गारंटिड करना चाहता है, वह जल्दी ही झांसे में आ जाता है और जब स्टेशन या बस स्टैंड पर सामान व परिवार के साथ पहुंचता है तो पता चलता है कि फंस गया.

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