देश की एक चर्चित औनलाइन शौपिंग कंपनी फ्लिपकार्ट ने पिछले दिनों 300 से 600 कर्मचारियों की छंटनी करने के संकेत दिए हैं. करीब 30 हजार कर्मचारियों वाली इस ई-कौमर्स कंपनी में छंटनी की यह प्रक्रिया आश्चर्यजनक मानी जा सकती है. इस जैसी कंपनियों के कारोबार के बल पर देश की अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने का सपना सरकार भी देखती रही है. पिछले 4-5 वर्षों में देश में जिस बाजार की सब से ज्यादा चर्चा रही है वह ई-कौमर्स से जुड़ा ऐसा बाजार है जिस ने आम लोगों को घर बैठे खरीदारी की सहूलियत दी. हजारों बेरोजगार युवाओं को डिलीवरीमैन से ले कर आईटी इंजीनियर और मैनेजर जैसे शानदार रोजगार भी दिए. इसी बाजार के दम पर आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों के कैंपस प्लेसमैंट में ई-कौमर्स कंपनियां पहले दिन ही टेलैंट अपने यहां खींच कर ले जा रही थीं. लेकिन इधर इन्हीं कंपनियों और आईआईटी व आईआईएम जैसे संस्थानों के बीच नौकरियों को ले कर जो खींचतान हुई है, उस ने रोजगार के इस चमकदार विकल्प की कलई खोल कर रख दी है. 

नौकरी दे कर किया बेरोजगार

शरुआत पिछले साल ही हो गई थी. वर्ष 2015 में पुणे की एक स्टार्टअप औनलाइन कंपनी टाइनीआउल ने ऐलान किया था कि वह पुणे, गुड़गांव, हैदराबाद और चेन्नई में अपने सौ से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी कर रही है. यही ट्रैंड वर्ष 2016 में भी जारी रहा. इस साल औनलाइन शौपिंग कराने वाली कुछ ई-कौमर्स व आईटी कंपनियों ने इस मामले में एकतरफा कार्यवाहियां कीं. लगभग हर तरह के इलैक्ट्रौनिक सामान बेचने वाली कंपनी फ्लिपकार्ट, हैल्थकेयर स्टार्टअप पोर्टिया और ग्रौसरी पोर्टल पेपरटेप के अलावा एलऐंडटी इन्फोटैक जैसी कई कंपनियों ने नामी संस्थानों से डिगरी हासिल कर चुके युवाओं को कैंपस प्लेसमैंट के जरिए चुना था और जिन्हें बाकायदा औफर लैटर दिए थे, उन्हें इन कंपनियों ने टरकाना शुरू कर दिया. कुछ कंपनियों में तो प्लेसमैंट के 2 साल बाद भी नौजवान सिर्फ कागज पर नौकरी में थे, हकीकत में वे बेरोजगार ही थे क्योंकि कंपनी में उन की नियुक्ति या तैनाती की तारीख आगे खिसकती जा रही थी.

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