फेसबुक की दोस्ती का जंजाल: भाग 1

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आखिरी भाग

पति की बात सुन कर वह बहुत खुश हुई. इस के 5-6 दिन बाद सुनीता के मोबाइल पर अंजान नंबर से काल आई. उस ने काल रिसीव की तो एक शख्स ने कहा, ‘‘क्या आप सुनीता आर्य बोल रही हैं?’’

सुनीता ने ‘हां’ कहा तो वह बोला, ‘‘फिनलैंड में आप के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है, गंभीर आपराधिक धारा लगी है. अब आप को कई साल जेल में गुजारने होंगे.’’

यह सुन कर सुनीता कांपने लगी, डरतेडरते उस ने कहा, ‘‘मगर मेरा कुसूर क्या है?’’

‘‘आप ने डेविड सूर्ययन द्वारा स्मलिंग का सोना भारत मंगवाने का षड्यंत्र रचा, उसे जब्त कर किया गया है. डेविड ने आप का नाम बताया है. जल्द ही कस्टम विभाग की टीम आप की गिरफ्तारी के लिए आ रही है.’’

यह सुन कर सुनीता के हाथपांव फूल गए वह घबराते हुए बोली, ‘‘मुझे माफ करो. मैं ने कोई गलती नहीं की है. मेरा कोई कसूर नहीं है.’’

उधर से आवाज आई, ‘‘मैडम, आप लोग सच्चे हो या झूठे यह तो यहां की अदालत ही तय करेगी. मगर, मुझे आप एक भली महिला जान पड़ती हैं. इसलिए यदि आप चाहें तो आप की कुछ मदद कर सकता हूं.’’

‘‘हां भैया, मदद करो.’’ सुनीता गिड़गिड़ाई.

‘‘तो सुनो, मैं तुम्हारा नाम आरोपियों की सूची से हटा दूंगा. लेकिन इस के एवज में 5 लाख रुपए देने होंगे, वह भी आज ही.’’

डरीसहमी सुनीता ने स्वीकार कर लिया और उसी दिन बताए गए बैंक अकाउंट में 5 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए. इस के बाद उस की जान में जान आई. वह सोचने लगी कि दोस्ती कर के वह कहां, किस जाल में फंस गई. यह फेसबुक की दोस्ती तो उसे बहुत महंगी पड़ गई.

इस बीच सुनीता को फिर फोन आया. उसे डरायाधमकाया गया और कहा गया कि ऊपर के अफसरों का मुंह भी बंद करना है इसलिए और पैसे भेजो. इस तरह सुनीता ने बताए गए बैंक खातों में धीरेधीरे 44 लाख रुपए जमा करा दिए.

अब वह डरीसहमी सी रहती, जाने क्या होगा, मामला खत्म हो जाएगा या फिर उसे जेल हो जाएगी. यह सोचसोच कर उस का स्वास्थ्य भी खराब रहने लगा. आखिरकार एक दिन उस ने पति चैतूराम को सारी बातें बता दीं और सुबकसुबक कर रोने लगी.

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पत्नी के कारनामे सुन चैतूराम की आंखें फटी की फटी रह गईं. उन्होंने पत्नी को आश्वासन दिया और कहा कि तुम ने इतने पैसे ट्रांसफर कर दिए और मुझे बताया तक नहीं.

चैतूराम पढ़ेलिखे शख्स थे. उन्होंने पत्नी को भरोसा देते हुए कहा, ‘‘तुम चिंता मत करो. मैं कल ही एसपी साहब से मिलूंगा.’’

‘‘इस से तो मैं खुद ही फंस जाऊंगी, मेरा क्या होगा?’’ सुनीता घबराते हुए बोली.

‘‘तुम बिलकुल चिंता न करो, तुम्हें कुछ नहीं होगा.’’ पति ने समझाया.

दूसरे दिन चैतूराम राजनांदगांव के एसपी कमल लोचन कश्यप के पास पहुंचे और उन्हें पत्नी के साथ घटी घटना की सारी जानकारी बता दी. चैतूराम की बात सुन कर एसपी समझ गए कि उन के साथ साजिशन ठगी हुई है. उन्होंने चैतूराम से कहा कि तुम लोगों को ठगा गया है. इसलिए तुम अभी कोतवाली जाओ और मामले की रिपोर्ट लिखाओ.

एसपी साहब के निर्देश पर चैतूराम पत्नी सुनीता को ले कर पहली दिसंबर, 2018 को लालबाग पहुंचे और कोतवाली प्रभारी एलेक्जेंडर कीरो से मिल कर उन्हें पूरी वस्तुस्थिति से अवगत कराया. कोतवाली प्रभारी ने सुनीता की तरफ से अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 420, 66 , 34 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर उन का बयान दर्ज किया.

उन्होंने चैतूराम को बताया कि यह मामला किसी कस्टम पुलिस का कतई नहीं है. अगर कोई कस्टम फ्रौड होता तो पहले हमारे पास जानकारी आती.

कोतवाल एलेक्जेंडर कीरो ने एसपी कमल लोचन कश्यप के निर्देश पर एक टीम बना कर इस केस की जांच शुरू कर दी. जांच टीम ने सबसे पहले उन फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई, जिन नंबरों से सुनीता के पास काल आई थी.

जांच टीम ने जांच आगे बढ़ते ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आते चले गए. जिस फोन नंबर से सुनीता को ठगा गया था, पुलिस ने उस पर काल की तो वह बंद मिला.

जांच में पता चला कि वह सिम दिल्ली से अपडेट होता रहा है. इस से यह बात सामने आ चुकी थी कि इस अपराध के तार दिल्ली से जुड़े हुए हैं. जिस अकाउंट में सुनीता आर्य ने पैसे ट्रांसफर किए थे, पुलिस उन लोगों तक पहुंच गई. इस के बाद तो मामला खुली किताब की तरह उजागर होता चला गया.

ठगों का जो मोबाइल फोन बंद चल रहा था, वह चालू हो गया. पुलिस ने जब उस नंबर पर बात की तो पता चला कि वह फोन नंबर झारखंड के रांची में रमन्ना नाम के व्यक्ति के पास है. पुलिस टीम रमन्ना के पास पहुंच गई. उस ने बताया कि इस नंबर का सिम कार्ड उसे दिल्ली में रहने वाले नाइजीरियन युवक स्टेनली ने बेचा था.

रमन्ना की निशानदेही पर पुलिस टीम दिल्ली स्थित 25 फुटा रोड चाणक्य पैलेस, नाइजीरियन कालोनी पहुंच गई. दिल्ली पुलिस के सहयोग से किबी स्टेनली ओकवो और नवाकोर एमानुएल को हिरासत में ले लिया. दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस टीम राजनांद गांव लौट आई.

एसपी कमललोचन कश्यप भी ठगों की गिरफ्तारी की सूचना पर कोतवाली पहुंच गए. उन की मौजूदगी में दोनों आरोपियों से सख्ती से पूछताछ की गई तो दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उन्होंने बताया कि ठगी की घटना को अंजाम देने के बाद वह उस फोन नंबर को किसी को बेच दिया करते थे.

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वे लोग पहले लोगों से फेसबुक पर दोस्ती करते थे, इस के बाद ज्वैलरी, मोबाइल फोन, महंगे गिफ्ट भेजने का झांसा दे कर उन से मोटी ठगी करते थे. पुलिस ने दोनों आरोपियों से लगभग 5 लाख रुपए भी बरामद करने में सफलता प्राप्त की. उन दोनों ने काफी रकम बीते 7 माह में अय्याशी में उड़ा दी थी.

इस के अलावा पुलिस ने भारतीय स्टेट बैंक से पत्र व्यवहार कर के संपूर्ण राशि जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी. पुलिस ने दोनों आरोपियों से पूछताछ कर उन्हें 19 अगस्त, 2019 को स्थानीय न्यायालय में पेश किया जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.

कथा संकलन तक ये शातिर ठग जेल में बंद थे.

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