भाग 1

छत्तीसगढ़ राज्य के जिला राजनांदगांव में एक कस्बा है पारा. इसी कस्बे की रहने वाली सुनीता आर्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्टाफ नर्स थी. उस ने हाल ही में सोशल मीडिया के फेसबुक की रंगीन दुनिया  में कदम रखा था. नएनए लोगों को फ्रैंड बनाना, उसे कल्पनालोक के सुनहरे संसार में पहुंचा देता था.

फेसबुक के अनोखे संसार ने उस की रगरग में रूमानियत भर दी थी. नित्य नएनए फेसबुक फ्रैंड बनते जा रहे थे. उस के फेसबुक फ्रैंड की संख्या बढ़ती जा रही थी. इसी दौरान उस के पास डेविड सूर्ययन नाम के एक युवक की फ्रैंड रिक्वेस्ट आई. सुनीता आर्य ने उस की प्रोफाइल देखी तो पता चला वह युवक लंदन का रहने वाला है.

सुनीता मन ही मन खुश हुई कि वह कितनी भाग्यशाली है जो उस के पास लंदन से फ्रैंड रिक्वेस्ट आई है. उस ने खुशीखुशी उस की फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली.

सुनीता आर्य के पति चैतूराम सरकारी नौकरी में थे. शाम को जब वह घर आए तो सुनीता ने खुश होते हुए कहा, ‘‘आज तो कमाल हो गया.’’

चैतूराम ने उस की ओर देख कर पूछा, ‘‘क्या कमाल हो गया भई?’’

सुनीता बोली, ‘‘लंदन चलना है क्या?’’

पति ने आश्चर्य से सुनीता की ओर देख कर कहा, ‘‘लंदन? बात क्या है, बताओ तो?’’

सुनीता खिलखिला कर हंसती हुई बोली, ‘‘मेरी फेसबुक पर लंदन से फ्रैंड रिक्वेस्ट आई है. क्या नाम है उस का. हां, डेविड, मैं ने उसे अपना फ्रैंड बना लिया है.’’

‘‘तो क्या हो गया?’’ भौचक चैतूराम ने उस की ओर देखा.

‘‘तुम समझे नहीं, अब जब मैं ने लंदन के डेविड से दोस्ती कर ली है तो अगर वह भारत आया तो क्या हम से नहीं मिलेगा. क्या हम उस की खातिरदारी नहीं करेंगे. ऐसे ही अगर हम लंदन जाएं तो वहां कम से कम कोई एक पहचान वाला तो होगा. जो हमें सैरसपाटे करवाएगा है. तभी तो कह रही हूं कि लंदन चलना है क्या?’’

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