मध्य प्रदेश में राजगढ़ जिले के बैरियाखेड़ा गांव से हो कर समलपुर के लिए एक सड़क गुजरती है. इसी सड़क के किनारे मदन सिंह मीणा के बेटे के दोमंजिला मकान में नीचे किराने की दुकान है. इस मकान के भीतरी हिस्से में बेटा राम दिनेश मीणा अपनी पत्नी ज्योतिबाई के साथ रहता था. जबकि खुद मदन मीणा गांव के भीतर बने अपने पुश्तैनी मकान में ही रहते थे.
बेहद सर्द रात होने के बावजूद वह हर रोज की तरह 21 जनवरी, 2022 को भी सुबह 4 बजे के करीब सो कर उठ गए थे. नित्य कर्म के बाद घर के बाहर ही खेती का काम निपटाने में लगे हुए थे. तभी उन की बहू ज्योति भागती हुई आई. हांफती हुई कहने लगी, ‘‘पिताजी, अनर्थ हो गया.’’
‘‘क्या हुआ? इतनी सुबहसुबह दौड़ लगाती क्यों आई हो? सब कुछ ठीक है न?’’ मदन सिंह बोले.
घबराई हुई ज्योति बोली, ‘‘पिताजी, उन की हत्या हो गई है.’’
‘‘हत्या? कैसे? किस ने की?’’ मदन सिंह ने चौंकते हुए एक साथ कई सवाल पूछ डाले.
‘‘मैं कुछ नहीं जानती, पिताजी. वह दुकान के पीछे वाले कमरे में सो रहे थे. वहीं उन्हें किसी ने रात को ही मार डाला,’’ ज्योति बोली.
‘‘तुम कहां थी?’’ ससुर मदन मीणा ने पूछा.
‘‘मैं ऊपर के कमरे में सो रही थी. सुबह 4 बजे टौयलेट के लिए नीचे आई, तभी मैं ने उन्हें उस हालत में देखा. उस के बाद ही यहां भागतीभागती आई हूं,’’ ज्योति एक सांस में बोल गई.
‘‘चल मेरे साथ, अभी देखता हूं क्या माजरा है?’’ मदन मीणा बोले और झट से खूंटी पर टंगी अपनी कमीज पहन ली.
तुरंत बहू के साथ बेटे के मकान में आ गए. उन्होंने देखा कि उन का बेटा बिछावन पर रजाई ओढ़े सो रहा था. ऐसा लग रहा था मानो वह गहरी नींद में हो. जबकि बिछावन पर काफी खून फैला हुआ था. वह उसे पैर की तरफ से झकझोरने लगे, ‘‘बेटा दिनेश, बेटा दिनेश.’’
उस में जब कोई हरकत नहीं हुई तब बहू की तरफ सवालिया नजरों से देखा. ज्योति तुरंत बोली, ‘‘पिताजी, मैं ने भी इसी तरह इन्हें जगाया था. वह नहीं जागे थे, तब चेहरे से रजाई भी हटा कर देखा. सिर और चेहरा खून से लाल हो चुका है. लगता है किसी ने सिर पर ही हमला किया है.’’
बेटे की लाश देख कर मदन सिंह भी रोने लगे. कुछ देर बाद हथेलियों से आंसू पोछते हुए बोले, ‘‘मोबाइल लाओ, पुलिस को फोन करना है.’’
‘‘मोबाइल नहीं है. तोड़ दिया…’’ ज्योति धीमे से बोली.
‘‘तोड़ दिया! क्यों? 2 दिन पहले ही तो तुम्हें मोबाइल से बात करते देखा था मैं ने,’’ मदन मीणा आश्चर्य से बोले.
‘‘मोबाइल से बात करना इन्हें पसंद नहीं था, इसलिए इन्होंने ही तोड़ दिया था.’’ ज्योति पति के लाश की तरफ अंगुली उठा कर बोली.
‘‘अच्छा, तुम यहीं रहो, मैं पुलिस को खबर करने जाता हूं.’’ उस के बाद मदन मीणा थाने जाने के लिए सड़क पर आ कर किसी गाड़ी का इंतजार करने लगे.
उन का गांव राजगढ़ जिले में सुठालिया थाना क्षेत्र में आता है, जो वहां से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर था. वह थाने की ओर पैदल ही बढ़ने लगे और बीचबीच में उधर जाने वाली गाडि़यों को रुकने के लिए हाथ भी देते रहे.
एक पुलिस चौकी पास में ही थी. उन्होंने वहां तैनात एक सिपाही को अपने बेटे की हत्या के बारे में बताया. सिपाही ने तत्काल थाना सुठालिया के टीआई रामकुमार रघुवंशी को इस की सूचना दे दी. वह इलाके की गश्त पर निकलने वाले ही थे.
हत्या की सूचना पा कर टीआई अपने साथ एसआई अरुंधति राजावत और 2 कांस्टेबलों को ले कर निकल पड़े. इसी बीच उन्होंने इस मामले की सूचना एसडीपीओ किरण अहिरवार और एसपी प्रदीप शर्मा को भी दे दी.
कुछ देर में ही रघुवंशी घटनास्थल पर पहुंच गए. तब तक सुबह का उजाला फैल चुका था. गांव वालों को भी घटना के बारे में जानकारी मिल गई थी. इसलिए घर के बाहर लोगों की भीड़ भी जमा हो चुकी थी. टीआई ने मौके का बारीकी से निरीक्षण किया. आसपास के लोगों से पूछताछ की. उन्होंने मृतक के पिता मदन सिंह से भी पूछताछ की.
मृतक राम दिनेश मीणा का सिर फटा हुआ था. खाट पर लगा बिस्तर उस के खून से गीला हो चुका था. उस के नीचे और आसपास भी काफी खून फैला हुआ था. उसे देख कर यह अंदाजा लगाया गया कि हत्या गहरी नींद में सोए रहने या फिर बेहोशी की हालत में की गई होगी.
उस की पूरी जानकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही मालूम हो सकती थी. इस के लिए टीआई ने एफएसएल टीम को सूचना दे कर बुलवा लिया. इस बीच वे परिवार वालों से बातें करते रहे.
उस वक्त परिवार के 2 बड़े सदस्य ही उपस्थित थे. उन में एक मृतक की पत्नी ज्योति बाई और दूसरे पिता मदन सिंह मीणा थे. उन से बारीबारी से पूछताछ की गई. जिस में पता चला कि राम दिनेश गांव में रहने वाले अपने पिता से अलग पत्नी ज्योति और 2 बच्चों के साथ सड़क किनारे के मकान में रहता था.
उस ने अपने मकान में छोटी सी किराने की दुकान खोल रखी थी. पतिपत्नी दोनों दुकान चलाते थे. दुकान पर रोजाना बैठने का काम ज्योति के जिम्मे था, जबकि राम दिनेश दुकान के लिए शहर से सामान लाने का काम संभालता था.
दिनेश की मौत के बारे में मदन ने बताया कि उन्हें इस की कोई अधिक जानकारी नहीं है. बेटे के मौत की सूचना सुबह करीब साढ़े 4 बजे बहू से मिली थी. उस के बाद उन्होंने बेटे की यह हालत देखी.
इस संबंध में पुलिस ने ज्योति से पूछताछ की. उस से कई तरह के सवाल पूछे गए. कुछ सीधे तो कुछ घुमाफिरा कर. उन में कुछ पति के साथ चल रहे आपसी संबंध को ले कर थे, जबकि ससुराल से अलग रहने के बारे में भी ज्योति से कई सवाल पूछे गए थे.
पति की किसी से दुश्मनी या लेनदेन को ले कर झगड़े के बारे में पूछने पर ज्योति ने सिरे से नकार दिया. ज्योति ने बताया कि इस बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है, लेकिन इतना जरूर बताया कि लेनदेन के मामले में पति का हाथ साफ था.
उन के ऊपर किसी का कुछ भी बकाया नहीं था. किसी के साथ उन की दुश्मनी भी नहीं थी. ज्योति से बात करते हुए पुलिस को हत्यारे तक पहुंचने में कोई मदद नहीं मिली.
घटना के बारे में ज्योति ने बताया कि वह ऊपर छत वाले कमरे में सो रही थी और पति नीचे के कमरे में थे. वह अकसर वहीं सोते थे, जबकि वह बच्चों को ले कर छत के एक कमरे मे सोती थी. उस रोज भी वह छत पर एक कमरे में और दूसरे में बच्चे सो रहे थे.
सुबह 4 बजे जब वह नीचे बाथरूम के लिए आई थी, तभी उस ने पहले कमरे में फैला हुआ खून देखा था. फिर पति को मृत हालत में देख कर घबरा गई थी. इस की जानकारी देने के लिए तुरंत गांव में अपने ससुर के यहां चली गई.
पूछताछ के दरम्यान बुलाई गई विशेष जांच टीम के अधिकारी निलेश निजाम द्वारा तमाम तरह के नमूने जुटा लिए गए थे.
उसी में उन्हें एक मोबाइल फोन के कुछ टुकड़े घर के पीछे कूड़े के ढेर से मिले जबकि एक टुकड़ा कमरे में भी मिला. एक सिम भी मिल गया था. संयोग से वह सहीसलामत था. खून के नमूने ले लिए गए थे. सारी काररवाई निपटाने के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की पूरी तैयारी कर ली गई थी.
घटनास्थल पर जांच के समय ही एसपी प्रदीप शर्मा के निर्देश पर एसडीपीओ (ब्यावर) किरण अहिरवार भी मौके पर पहुंच गई थीं. उन्होंने भी अपने तरीके से घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया.
मोबाइल फोन के टुकड़ों के बारे में ज्योति ने बताया कि वह उस के मोबाइल के ही टुकड़े हैं. मोबाइल टूट जाने पर उस ने कूड़े में फेंक दिया था.
मोबाइल बड़ी ही बेतरतीबी से टूटा था. वह जानबूझ कर तोड़ने जैसा दिख रहा था. बैटरी और छोटे से स्क्रीन पर किसी भारी वस्तु से तोड़े जाने के निशान थे.
‘‘इसे तुम ने तोड़ा?’’ एसडीपीओ किरण अहिरवार ने ज्योति से पूछा.
‘‘नहीं,’’ ज्योति धीमे से बोली.
‘‘तो फिर किस ने तोड़ा?’’
‘‘मेरे पति ने,’’ ज्योति ने बताया.
‘‘क्यों तोड़ा पति ने मोबाइल?’’ एसडीपीओ ने कड़क आवाज में पूछा.
‘‘मैं हमेशा फोन पर बातें करती रहती थी, इसलिए गुस्से में.’’
‘‘किस से बातें करती थी?’’ एसडीपीओ किरण के इस सवाल पर ज्योति कुछ नहीं बोली. तब उन्होंने दोबारा पूछा, ‘‘बताओ, किस से बातें करती थी?’’
‘‘ग्राहकों से,’’ ज्योति बोली.
‘‘कहां के ग्राहक थे, जिन से तुम मोबाइल पर बात करती थी. सभी तो इसी गांव के होंगे.’’
‘‘जी…जी.’’
‘‘जीजी मत करो, सचसच बताओ तुम किस से बातें करती थी मोबाइल पर?’’ उन्होंने अब उसे डपटते हुए पूछा.
‘‘जिस का मोबाइल था उसी से… ’’ ज्योति बोली.
‘‘जिस का मोबाइल था. क्या मतलब? वह तुम्हारा नहीं था?’’
‘‘जी, वह हमारे एक ग्राहक चैन सिंह का मोबाइल था,’’ ज्योति ने सफाई दी.
‘‘उस का मोबाइल तुम्हारे पास क्यों था? उस ने तुम्हें क्यों दिया था?’’ उन्होंने फिर शंका भरे सवाल पूछे.
‘‘उस ने मेरे पास रखने के लिए दिया था.’’ ज्योति बोली.
‘‘यूं कोई मोबाइल रखने को क्यों देगा? कौन है चैन सिंह, उस से तुम्हारा कोई रिश्ता है?’’ किरण ने जब एक साथ कई सवाल पूछे तब ज्योति के माथे पर पसीने की बूंदें छलक आईं.
एसडीपीओ किरण अहिरवार अब समझ गईं कि ज्योति से ही हत्या का राज मालूम हो सकता है. उन्होंने उस से फिर सवाल किया, ‘‘तुम मोबाइल पर सिर्फ उसी से बातें करती थी या किसी और से भी बातें होती थीं. मैं तुम्हारी एकएक बातचीत की डिटेल्स निकलवा लूंगी. इसलिए सारी बात सचसच बताओ, जो तुम छिपा रही हो.’’
इधर ज्योति से पूछताछ चल रही थी, उधर राम दिनेश के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. आगे की पूछताछ के लिए ज्योति और मदन मीणा को थाने आने के लिए कहा गया. पुलिस ने ज्योति को एक दिन का मौका देते हुए हिदायत दी कि वह थाने आ कर पति की हत्या के बारे में जो कुछ जानती है, बताए.
हालांकि इस हत्याकांड की जांच के लिए टीआई रामकुमार रघुवंशी ने मुखबिर लगा दिए थे. मुखबिर ने उस घटना के रोज ही चैन सिंह और ज्योति के संबंधों के बारे में कुछ अहम जानकारी दी.
टूटे मोबाइल से बरामद सिम की काल डिटेल्स निकलवाने पर एक ही नंबर पर लंबी बातचीत करने की जानकारी मिल गई. संयोग से दोनों नंबर चैन सिंह के नाम से थे.
पुलिस के लिए ये जानकारियां जांच के लिए अहम थीं. ज्योति को थाने बुला कर उस से सख्ती बरतते हुए पूछताछ की जाने लगी. पूछताछ की शुरुआत गांव के ही रहने वाले चैन सिंह से की गई.
उस के बारे में मुखबिर से मालूम हो चुका था कि चैन सिंह से ज्योति के नजदीकी संबंध थे. उस के चलते ही पतिपत्नी में कई बार विवाद भी हो चुका था.
पुलिस ने जब ज्योति से पूछताछ की तब वह टूट गई. उस से मिली जानकारी के आधार पर चैन सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों के पास से हत्या में इस्तेमाल किया डंडा भी बरामद कर लिया. ज्योति और चैन सिंह द्वारा बताई गई कहानी इस प्रकार सामने आई—
मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के छोटे से गांव बेरियाखेड़ी की रहने वाली 30
साल की ज्योति जितनी सुंदर थी, उतनी ही चंचल स्वभाव की भी. वह जब मदन सिंह मीणा के बेटे राम दिनेश की बीवी बन कर आई थी, तब सभी ने उस की सुंदरता की खूब तारीफ की थी. वह बातें करने में भी माहिर थी.
पूरे गांव में उस के बातूनी स्वभाव, मटकमटक कर चलने की अदाएं और सुंदरता की चर्चा होती रहती थी. सुंदर पत्नी पा कर राम दिनेश भी काफी खुश था. समय बीतने के साथसाथ ज्योति 2 बच्चों की मां भी बन गई.
परिवार बढ़ने के साथसाथ घर की जिम्मेदारी भी बड़ी. ज्योति पति पर अलग से कोई रोजगार या अपना कामकाज करने का दबाव बनाने लगी.
उस के कहने पर दिनेश गांव में अलग मकान में रहने लगा. उसी घर में छोटी सी किराने की दुकान खोल ली. दुकान छोटी थी, मगर जल्द ही उस से अच्छी आमदनी भी होने लगी. सुबह से ही दुकान पर ग्राहकों का आना शुरू हो जाता था.
दुकान का सामान राम दिनेश ही सुठालिया कस्बे से लाता था. इस दौरान दुकान पर ज्योति बैठती थी. गांव में ज्योति के दीवानों की कमी नहीं थी. उस की उम्र के युवक एक झलक पाने और 2-4 बातें करने को लालायित रहते थे.
दिनेश की गैरमौजूदगी में ज्योति के चाहने वाले सामान खरीदने के बहाने उस की दुकान पर ही जमे रहते थे.
उन्हीं में एक युवक चैन सिंह भी था, जो ज्योति का कुछ ज्यादा ही दीवाना बन चुका था. वह उसे देखे बगैर चैन से नहीं रह पाता था. दिन भर इसी ताक में रहता था कि कब दिनेश बाहर जाए और ज्योति दुकान पर अकेली रहे.
जैसे ही ज्योति को दुकान पर अकेला पाता, चैन सिंह कोई सामान खरीदने के बहाने से आ जाता था. इस बात को ज्योति भी समझने लगी थी कि चैन सिंह जब दुकान पर आता है तो वह उस से कुछ बात करना चाहता है, लेकिन बोल नहीं पाता.
हालांकि रोजरोज दुकान पर आनेजाने से धीरेधीरे ज्योति और चैन सिंह के बीच इधरउधर की बातें भी होने लगीं.
फिर क्या था चैन सिंह सामान लेने के बहाने दुकान पर आ कर घंटों बातें करने लगा. जब तक चैन सिंह दुकान पर आ नहीं जाता था, तब तक ज्योति के दिल में हलचल होती रहती थी.
एक दिन चैन सिंह ने सामान लेने के बहाने से ज्योति की अंगुली दबा दी. यह देख कर ज्योति मुसकराते हुए बोली, ‘‘बड़े दिनों बाद हिम्मत की.’’
‘‘किस बात की,’’ ज्योति की बात सुन कर चैन सिंह झेंपते हुए बोला.
‘‘भोले न बनो आज अंगुली पकड़ी है तो बताते जाओ कलाई कब पकड़ने का इरादा है?’’
‘‘यह बात है तो तुम जब कहो, बंदा हाजिर है.’’
‘‘अरे वाह बड़ी जल्दी हिम्मत आ गई, लेकिन आज नहीं अब वो सुठालिया से लौटने वाले होंगे.’’
चैन सिंह को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ज्योति का उस की तरफ झुकाव इतना अधिक होगा और वह इतनी आसानी से उस की दिली तमन्ना को महसूस कर लेगी. उस दिन के बाद वह मौके की तलाश में रहने लगा.
4 दिन बाद ही चैन सिंह की इच्छा पूरी होने का समय आ गया था. दिनेश सुठालिया गया हुआ था. चैन सिंह ज्योति के पास पहुंच गया. दोपहर का वक्त था. ज्योति ने उसे भीतर कमरे में बुला लिया. उस रोज दोनों ने एकांत का फायदा उठाया.
गले लगते ही प्रेम की भावना में दोनों बहने लगे. चैन सिंह ने ज्योति की कमर में हाथ डाल चिकोटी काट ली. हलकी सी चीख के साथ ज्योति उस से अलग होती हुई बोली, ‘‘नहीं, अभी नहीं. वह सब फिर कभी.’’
चैन सिंह ज्योति की बात से समझ गया था कि वह उस के प्यार में डूब चुकी है. उस के दिल में वासना की चिंगारी सुलगी हुई है, उस चिंगारी को केवल भड़काने की जरूरत है.
संयोग से राम दिनेश उस दिन सुठालिया में ही ठहर गया था. चैन सिंह को उसी रात मौका भी मिल गया. ज्योति ने चैन सिंह को दुकान के पीछे कमरे में चुपके से बुला लिया. वो उन के तनमन के मिलन की पहली रात थी.
उन्होंने छक कर कामेच्छाएं पूरी कीं. ढेर सारी बातें की. दिल खोल कर एकदूसरे के सामने रख दिया. अपनीअपनी इच्छाएं बताईं. कुछ वादे भी किए. एक बार वे वासना के सागर में गोता लगाने के बाद सब कुछ भूल गए.
आए दिन दिनेश की गैरमौजूदगी में ज्योति चैन सिंह के संग यौन संबंध बनाती रही. ज्योति ने कहा कि उन के बीच बातचीत भी होती रहनी चाहिए.
चैन सिंह भी चाहता था कि उसे दिनेश के घर में रहने और उस के बाहर जाने की सूचना मिलती रहे. लेकिन समस्या थी कैसे? इस का समाधान अगले दिन चैन सिंह ने ही निकाला.
उसे एक नया मोबाइल फोन ला कर दे दिया.
अब ज्योति के लिए चैन सिंह से बात करना आसाना हो गया. जब दिनेश नहीं होता था, तब वह चैन सिंह को बुला
लेती थी.
वह मोबाइल कुछ दिनों तक पति से छिपाए रखी. एक दिन ज्योति को मोबाइल से बात करते पति ने देख लिया. उस के बारे में जब उस ने पूछा तब ज्योति ने बताया कि एक परदेसी ग्राहक दुकान पर छोड़ गया था.
राम दिनेश ने पत्नी की बातों पर भरोसा कर लिया. मोबाइल आ जाने से ज्योति घंटों फोन पर चैन सिंह से इश्क लड़ाने लगी. जब दिनेश दुकान पर होता, तब ज्योति छत के कमरे में जा कर बिस्तर पर लेटी पे्रमी संग बातें करती रहती.
इसी बीच गांव के कुछ लोगों ने चैन सिंह को दिनेश की गैरमौजूदगी में उस के घर के अंदर आतेजाते देख लिया. यह खबर दिनेश को भी हो गई.
दिनेश ने ज्योति से इस बारे में पूछताछ की, लेकिन उस ने साफ मना कर दिया. उल्टे कहने वाले पर ही आरोप लगा दिया कि वे सभी दुकान की तरक्की से जलते हैं.
हालांकि दिनेश को ज्योति की बात पर भरोसा नहीं हुआ. उस ने उस पर नजर रखनी शुरू कर दी. पूरे दिन फोन पर चिपके रहने पर नाराजगी जताई. ज्योति भी दिनेश की नाराजगी का मतलब समझ गई थी और सतर्क रहने लगी.
जबकि गांव वाले उस के और चैन सिंह के रिश्ते पर नजर रखने लगे. उस के बाद से उस ने चैन सिंह को रात में अपने कमरे में बुलाना शुरू कर दिया. दिनेश जब नीचे कमरे मे सो जाता था, तब ज्योति आधी रात को अपने कमरे में प्रेमी को छत पर बुला लेती थी.
18 जनवरी, 2022 को राम दिनेश ने ज्योति को काफी समय से मोबाइल पर बात करते देखा. वह उस की बातों को ध्यान से सुनने लगा. ज्योति अपने प्रेमी चैन सिंह के साथ बातें करने में मशगूल थी. हंसहंस कर बातें कर रही थी.
राम दिनेश गुस्से में बोला, ‘‘हरामजादी, अपने यार से हंसहंस कर बातें करती है और मेरे सामने सतीसावित्री बनती है. जिस्म में इतनी ही आग लगी है तो कोठे पर क्यों नहीं बैठ जाती. 2 बच्चों की मां होने के बाद भी तुझे शर्म नहीं आ रही.’’
ज्योति बारबार कह रही थी कि अब वह उस से बात नहीं करेगी. लेकिन राम दिनेश तो गुस्से में उबल रहा था. उस ने आव देखा न ताव, उस के हाथ से मोबाइल छीन लिया. उस के सामने ही मोबाइल को एक पत्थर से तोड़ डाला.
उस के बाद ज्योति दिनेश से बात नहीं कर पाई. वह उस से मिलने को तड़प उठी.
चैन सिंह भी रायगढ़ गया हुआ था. वह 21 जनवरी को लौटा. सीधा ज्योति से मिलने दुकान पर गया. ज्योति ने संक्षेप में मोबाइल तोड़े जाने की बात बताई. इस पर चैन सिंह ने भी नाराजगी दिखाते हुए कहा कि लगता है राम दिनेश को सबक सिखाना पड़ेगा.
चैन सिंह को गुस्से में देख कर ज्योति ने उसे रात में आने को कहा. उस वक्त चैन सिंह चला गया, लेकिन रात के 11 बजे के करीब वह ज्योति के पास पहुंच गया.
उस समय राम दिनेश नीचे के कमरे में सो रहा था. ज्योति ने प्रेमी चैन सिंह से पति द्वारा ताने मारने की सारी बातें बताईं. उस ने यह भी कहा कि पति को उस के संबंध पर शक हो चुका है. इसलिए उस ने फोन तोड़ दिया है. गांव वाले भी उसे शक की निगाह से देखते हैं.
ज्योति की बातें सुन कर चैन सिंह ने राम दिनेश की हत्या की योजना बना ली. इस में ज्योति को भी शामिल कर लिया. योजना बनाने की खुशी में पहले उन्होंने अपने शरीर की आग शांत की.
यौन संबंध से तृप्त होने के बाद चैन सिंह सीधा राम दिनेश के कमरे में गया. वहीं एक डंडा पड़ा था. दिनेश खाट पर बेसुध सो रहा था.
चैन सिंह ने डंडा उठाया और उस के सिर पर डंडे से ताबड़तोड़ 4-5 वार कर दिए. थोड़ी देर छटपटाने के बाद उस की मौत हो गई. फटे सिर से काफी खून बह निकला. यह सब ज्योति के सामने हुआ.
जब चैन सिंह और ज्योति राम दिनेश की मौत से आश्वस्त हो गए, तब उन्होंने जमीन पर फैले खून को साफ किया और डंडे को भी छत पर ले जा कर धो दिया.
छत पर दोनों ने अपने खून सने कपड़े भी बदले. उस के बाद दिनेश के मरने की खुशी में एक बार फिर शारीरिक संबंध बनाए.
जब चैन सिंह गया तब डंडा भी साथ लेता गया. जाते समय उस ने राम दिनेश की लाश रजाई से ढंक दी. तब तक सुबह के साढ़े 3 बजने वाले थे. ज्योति सुबह होने का इंतजार करती रही. फिर उस ने एक घंटे बाद ससुर के पास जा कर झूठी कहानी सुनाई.
ज्योति बाई और चैन सिंह के द्वारा अपराध कुबूले जाने के बाद उन्हें न्यायालय में पेश किया गया.
तब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिर पर चोट लगने की पुष्टि हो चुकी थी.
अदालत ने दोनों को जेल भेजने के आदेश दिए.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित