मजहब कोई भी हो, चमत्कार और पाखंड की दुकान सजाए व ऐयाशी का लिबास पहने धर्मगुरु हर जगह मौजूद हैं. फिर चाहे वह कश्मीर का तथाकथित फकीर गुलजार बट ही क्यों न हो, जिस का मकसद धर्म की आड़ में औरतों के जिस्म से खेलना था. पढि़ए खुरशीद आलम की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट.

बात चाहे बहुसंख्यक समाज की हो या मुसलिम समाज की, हर जगह आसाराम जैसे सामाजिक पथभ्रष्ट लोगों की कमी नहीं है. कहीं कोई चमत्कार की आड़ में अंधविश्वास को फैला रहा है तो कोई धर्म के लिबास में लोगों को गुमराह कर रहा है. मुसलिम समाज में भी बाबाओं की कमी नहीं है जो ढोंगी हैं और अंधविश्वास पैदा कर महिलाओं की इज्जत लूटते हैं. अपनी काली करतूतों के चलते जब तक वे कानून के शिकंजे में फंसते हैं उस वक्त तक बहुत सी मासूम कलियां उन की भेंट चढ़ चुकी होती हैं.

ऐसी ही एक घटना कश्मीर की है जहां पीर, फकीर के नाम पर ढोंग करने वाले गुलजार बट नामी व्यक्ति की गिरफ्तारी से यह सनसनीखेज खुलासा हुआ कि किस तरह यह व्यक्ति खुद को पीर कहलाता था और इस की आड़ में औरतों के जिस्म से खेलता था. औरतें उस की हरकत पर मौन रहती थीं क्योंकि उस ने किसी को कुछ भी बताने से मना कर दिया था. मई, 2013 में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर श्रीनगर के सैंट्रल जेल भेज दिया जिस के बाद उस की रंगीली दास्तान सामने आने लगी.

गुलजार बट नामी व्यक्ति, जो स्वयं को सूफी के तौर पर पेश करता था, ‘देशी बुजुर्ग’ के नाम से मशहूर था. उस ने औरतों के लिए अपना एक हरम बना रखा था जिस में कम उम्र लड़कियां और महिलाएं थीं. देशी बुजुर्ग का कथन था कि वह शादी नहीं करेगा लेकिन रूहानी तौर पर वह 72 महिलाओं के साथ निकाह करेगा.

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