देशभर के प्राकृतिक संसाधनों को गिद्ध की तरह नोचने वाले माफिया अपने सियासी रसूख की बदौलत खुलेआम नदियों का सीना चीर कर बालू का अंधाधुंध अवैध खनन करते रहते हैं. लेकिन जब दुर्गा शक्ति नागपाल जैसी ईमानदार अफसर की दखलंदाजी इन के मंसूबों के आड़े आती है तो फिर सत्ता में बैठे लोग स्वार्थ की खातिर इन माफियाओं को किस तरह पनाह देते हैं, पढि़ए अभिषेक कुमार सिंह की रिपोर्ट में.
अरसे से देश में प्राकृतिक संसाधनों को खुलेआम लूट रहे खनन माफिया को किस तरह राजनेताओं और राजनीतिक दलों का संरक्षण प्राप्त है, इस की एक मिसाल दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में देखने को मिली. यहां पिछले कुछ समय से खनन माफिया के खिलाफ कार्यवाही कर रहीं युवा आईएएस अधिकारी, जिले की सबडिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) दुर्गा शक्ति नागपाल को एक निर्माणाधीन मसजिद की दीवार गिराने के आरोप में 27 जुलाई को रातोंरात हटा दिया गया.
इस बारे में स्थानीय नेता और उत्तर प्रदेश एग्रो कौर्पोरेशन के चेयरमैन नरेंद्र भाटी ने एक सभा में यह दावा किया कि गे्रटर नोएडा के रबूपुरा स्थित कादलपुर गांव में मसजिद की दीवार गिराने की शिकायत मुख्यमंत्री से करने के 41 मिनट के अंदर एसडीएम के निलंबन का आदेश जारी किया गया. उन्होंने जोर दे कर यह भी कहा कि लोकतंत्र की ताकत का नतीजा है कि कोई सरकारी अधिकारी मनमाने ढंग से काम नहीं कर सकता. उस के ऊपर जनता द्वारा चुनी गई सरकार है जो ऐसे अधिकारियों को तुरंत हटा सकती है. भाटी का यह बयान टीवी चैनलों पर बारबार दिखाया गया, फिर भी बाद में वे अपने इस बयान से पलट गए.
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