emotional hindi kahani : गरीब राघव के प्रति मीना के मन में पता नहीं क्यों ममता उमड़ आई थी. उस ने राघव को हर तरह से मदद दे कर पढ़ाई पूरी करने का पूरा मौका दिया. क्या राघव मीना के इस उपकार को कभी उतार सका?

बहुत दिनों बाद अचानक माधुरी का आना मीना को सुखद लगा था. दोचार दिन तो यों ही गपशप में निकल गए थे. माधुरी दीदी यहां अपने किसी संबंधी के यहां विवाह समारोह में शामिल होने आई थीं. जिद कर के वे मीना और उस के पति दीपक को भी अपने साथ ले गईं. फिर शादी के बाद मीना ने जिद कर उन्हें 2 दिन और रोक लिया था. दीपक किसी काम से बाहर चले गए तो माधुरी रुक गई थीं.

‘‘और सुना, सब ठीकठाक तो चल रहा है न,’’ माधुरी ने कहा, ‘‘अब तो दोनों बेटियों का ब्याह कर के तुम लोग भी फ्री हो गए हो. खूब घूमोफिरो. अब क्यों घर में बंधे हुए हो?’’

‘‘दीदी, अब आप से क्या छिपाना,’’ मीना कुछ गंभीर हो कर कहने लगी, ‘‘आप तो जानती ही हैं कि दोनों बेटियों की शादी में काफी खर्च हुआ है. अब दीपक रिटायर भी हो गए हैं. सीमित पैंशन मिलती है. किसी तरह खर्च चल रहा है, बस. कोई आकस्मिक खर्चा आ जाता है तो उस के लिए भी सोचना पड़ता है.’’

माधुरी बीच में ही टोक कर बोलीं, ‘‘देख मीना, तू अपनेआप को थोड़ा बदल, बेटियों के कमरे खाली पड़े हैं, उन्हें किराए पर दे. इस शहर में बच्चों की कोचिंग का अच्छा माहौल है. तुम्हारे घर के बिलकुल पास कोचिंग क्लासें चल रही हैं. बच्चे फौरन किराए पर कमरा ले लेंगे. उन से अच्छा किराया तो मिलेगा ही, घर की सुरक्षा भी बनी रहेगी.’’

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