पंजाब के जिला होशियारपुर के टांडा उड़मुड़ के रहने वाले सरदार सुखदेव सिंह सुखी और संपन्न किसान थे. उन के परिवार में पत्नी और 3 बच्चे, जिन में 2 बेटियां मनदीप कौर, संदीप कौर और एक बेटा गुरप्रीत सिंह उर्फ गोल्डी था. उन्होंने बड़ी बेटी मनदीप कौर की शादी जिस लड़के से की थी, वह आस्ट्रेलिया में रहता था.
शादी के बाद मनदीप कौर भी पति के साथ आस्ट्रेलिया जा कर रहने लगी थी. बहन के जाने के बाद गुरप्रीत सिंह उर्फ गोल्डी का भी मन बहन के पास आस्ट्रेलिया जाने का हुआ तो सुखदेव सिंह ने उसे भी आस्ट्रेलिया भेज दिया. वहां बहन और बहनोई की मदद से गुरप्रीत ने जो काम शुरू किया, वह चल निकला था. जीजा की वजह से गुरप्रीत को भी वहां की नागरिकता मिल गई थी. सुखदेव सिंह का बेटा एनआरआई बन गया तो उस के लिए अच्छे घरों के रिश्ते आने लगे. उन्होंने कुछ लड़कियों के फोटो गुरप्रीत के पास भेजे तो उन में से उस ने किरणदीप कौर को पसंद कर लिया. इस के बाद आस्ट्रेलिया से पंजाब आ कर उस ने किरणदीप कौर से शादी कर ली.
शादी के बाद गुरप्रीत सिंह आस्ट्रेलिया चला गया. कुछ दिनों बाद किरणदीप कौर के भी आस्ट्रेलिया जाने की व्यवस्था कर दी गई. वह कुछ दिनों तक पति के पास आस्ट्रेलिया में रहती तो कुछ दिनों के लिए पंजाब आ कर सासससुर के साथ रह कर उन की सेवा करती. गुरप्रीत के आस्ट्रेलिया जाने के बाद सुखदेव सिंह गांव वाला मकान बेच कर टांडा शहर के बाईपास के पास पौश इलाके में एक बड़ी सी कोठी खरीद कर उसी में रहने लगे थे. खेतों को उन्होंने ठेके पर दे दिया था.