पंजाब के जिला होशियारपुर के टांडा उड़मुड़ के रहने वाले सरदार सुखदेव सिंह सुखी और संपन्न किसान थे. उन के परिवार में पत्नी और 3 बच्चे, जिन में 2 बेटियां मनदीप कौर, संदीप कौर और एक बेटा गुरप्रीत सिंह उर्फ गोल्डी था. उन्होंने बड़ी बेटी मनदीप कौर की शादी जिस लड़के से की थी, वह आस्ट्रेलिया में रहता था.

शादी के बाद मनदीप कौर भी पति के साथ आस्ट्रेलिया जा कर रहने लगी थी. बहन के जाने के बाद गुरप्रीत सिंह उर्फ गोल्डी का भी मन बहन के पास आस्ट्रेलिया जाने का हुआ तो सुखदेव सिंह ने उसे भी आस्ट्रेलिया भेज दिया. वहां बहन और बहनोई की मदद से गुरप्रीत ने जो काम शुरू किया, वह चल निकला था. जीजा की वजह से गुरप्रीत को भी वहां की नागरिकता मिल गई थी. सुखदेव सिंह का बेटा एनआरआई बन गया तो उस के लिए अच्छे घरों के रिश्ते आने लगे. उन्होंने कुछ लड़कियों के फोटो गुरप्रीत के पास भेजे तो उन में से उस ने किरणदीप कौर को पसंद कर लिया. इस के बाद आस्ट्रेलिया से पंजाब आ कर उस ने किरणदीप कौर से शादी कर ली.

शादी के बाद गुरप्रीत सिंह आस्ट्रेलिया चला गया. कुछ दिनों बाद किरणदीप कौर के भी आस्ट्रेलिया जाने की व्यवस्था कर दी गई. वह कुछ दिनों तक पति के पास आस्ट्रेलिया में रहती तो कुछ दिनों के लिए पंजाब आ कर सासससुर के साथ रह कर उन की सेवा करती. गुरप्रीत के आस्ट्रेलिया जाने के बाद सुखदेव सिंह गांव वाला मकान बेच कर टांडा शहर के बाईपास के पास पौश इलाके में एक बड़ी सी कोठी खरीद कर उसी में रहने लगे थे. खेतों को उन्होंने ठेके पर दे दिया था.

26 मार्च, 2016 की रात गुरप्रीत सिंह ने पिता सुखदेव सिंह को फोन किया. वह पिता को बताना चाहता था कि उन के आस्ट्रेलिया आने की व्यवस्था हो गई है. दरअसल वह अपने मातापिता को भी स्थाई रूप से अपने साथ रखना चाहता था, जिस से उन की ठीक से देखभाल हो सके. लेकिन पूरी घंटी बजने के बाद भी फोन नहीं उठा था. उस ने कई बार फोन किया. हर बार पूरी घंटी बजी, पर फोन नहीं उठा.

फोन न उठने से वह परेशान हो उठा. पत्नी किरणदीप और छोटी बहन संदीप ने समझाया कि दोनों लोग सो गए होंगे, इसीलिए फोन नहीं उठ रहा. सुबह फोन कर लेना. संदीप कौर उन दिनों गुरप्रीत सिंह के पास ही थी. पंजाब में उस समय सुखदेव सिंह ही पत्नी संतोष कौर के साथ थे. पत्नी और बहन ने कहा तो गुरप्रीत को भी लगा कि शायद वे सो गए होंगे.

अगले दिन यानी 27 मार्च को उस ने फोन किया तो फिर वैसा ही हुआ. घंटी पूरी बजती थी, पर फोन नहीं उठता था. वह पूरे दिन फोन करता रहा, पर फोन नहीं उठा. मांबाप में से किसी ने फोन नहीं उठाया तो वह परेशान हो गया. रात 11 बजे उस ने टांडा के शिमला पहाड़ी में रहने वाले अपने मौसा बलबीर सिंह को फोन कर के सारी बात बता कर उस ने आग्रह किया कि वह उस की कोठी पर जा कर देखें कि पिता और मांजी फोन क्यों नहीं उठा रहे हैं.

उस समय रात के 11 बज रहे थे, इसलिए बलबीर सिंह ने कहा कि अब उतनी रात को तो वह नहीं जा सकते, सवेरा होते ही उस के यहां जा कर पता करेंगे कि क्या बात है, जो उन का फोन नहीं उठ रहा है. गुरप्रीत की मौसी विजय कौर ने उसी समय अपने भाई कुलदीप सिंह को फोन कर के यह बात बता कर कह दिया था कि सुबह उठ कर उन्हें सीधे वहां पहुंच जाना है.

कुलदीप सिंह वार्ड नंबर-1 दारापुर, टांडा दसुइया में रहते थे. सवेरे उठ कर वह अपने बहनोई सुखदेव सिंह की कोठी पर पहुंचे तो बाहर वाला गेट खुला था. इस बात पर तो उन्होंने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब उन्होंने पूरी कोठी के दरवाजे खुले देखे तो उन्हें हैरानी हुई. उन्हें मामला गड़बड़ लगा.

वह भाग कर बैडरूम में पहुंचे तो सामने बैड पर उन की बहन संतोष कौर और बहनोई सुखदेव सिंह चित लेटे थे. कोठी के एक कमरे से उन के पालतू कुत्ते के भौंकने की आवाजें आ रही थीं. कुलदीप सिंह आवाजें देते हुए बैड के पास पहुंचे तो देखा, दोनों के शरीरों में किसी तरह की कोई हरकत नहीं हो रही थी. वह समझ गए कि दोनों जीवित नहीं हैं.

वह घबरा गए और उन्होंने तुरंत बहन विजय कौर और जीजा बलबीर सिंह को फोन कर के यह बात बता दी. इस के बाद अन्य रिश्तेदारों को भी सूचना दे दी गई. थोड़ी ही देर में सब इकट्ठा हो गए तो थाना टांडा पुलिस को इस बात की सूचना दी गई.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी इंसपेक्टर जगजीत सिंह एएसआई भूपेंद्र सिंह और कुछ सिपाहियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. फोन कर के क्राइम टीम, डौग स्क्वायड को भी बुला लिया गया था. घटनास्थल के निरीक्षण में वहां ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिस से यह पता चलता कि उन की हत्या की गई थी या उन्होंने आत्महत्या की थी. लाशों पर चोट के भी निशान नहीं थे. कोठी का सारा सामान सुरक्षित था.

सिर्फ एक बात हैरान करने वाली यह थी कि कोठी के सभी कमरों के दरवाजे खुले थे, जबकि पालतू कुत्ते के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था. जगजीत सिंह ने रिश्तेदारों और पड़ोसियों से पूछताछ की. पड़ोसियों का कहना था कि कोठी का गेट 2 दिनों से खुला था. इस बीच सुखदेव सिंह और उन की पत्नी संतोष कौर दिखाई नहीं दीं. उन की किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी. रिश्तेदारों के अलावा उन के यहां किसी का आनाजाना भी नहीं था.

इस तरह शुरुआती जांच में पुलिस यह नहीं पता कर पाई कि मृतकों ने आत्महत्या की थी या उन की हत्या की गई थी. डीएसपी परमजीत सिंह हीर के निर्देश पर इंसपेक्टर जगजीत सिंह ने कुलदीप सिंह की शिकायत पर रपट नंबर-13 पर सीआरपीसी की धारा 174 के तहत काररवाई कर के दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भिजवा दिया. घटना की सूचना आस्ट्रेलिया में रह रहे सुखदेव सिंह के बच्चों को भी दे दी गई थी.

अगले दिन 3 डाक्टरों के पैनल द्वारा पोस्टमार्टम करने पर जो रिपोर्ट आई, वह चौंकाने वाली थी. रिपोर्ट के अनुसार, सुखदेव सिंह और संतोष कौर की मौत दम घुटने से हुई थी. उन के गले पर गला घोंटने के निशान भी पाए गए थे. इस से साफ हो गया था कि यह आत्महत्या का नहीं, हत्या का मामला था.

पोस्टमार्टम के बाद सुखदेव सिंह और संतोष कौर की लाशें उन के घर वालों को सौंप दी गई थीं. अब तक आस्ट्रेलिया से मृतक सुखदेव सिंह के परिवार के सभी लोग आ चुके थे. इस पूरे मामले में पुलिस की भागदौड़, मृतकों के अंतिम संस्कार से ले कर रिश्तेदारों के ठहरने तक का सारा इंतजाम मृतक की साली यानी गुरप्रीत की मौसी के दामाद जसप्रीत सिंह उर्फ जस्सी ने किया था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद सुखदेव सिंह और संतोष कौर की हत्या का मुकदमा अज्ञात हत्यारों के खिलाफ दर्ज कर जगजीत सिंह ने इस मामले की जांच शुरू कर दी थी. घटनास्थल की स्थिति देख कर उन्होंने अंदाजा लगाया था कि हत्यारे का मकसद लूटपाट नहीं, सिर्फ हत्या करना था. कोठी में पुलिस को चाय के 3 खाली कप मिले थे, जिन्हें पुलिस सीएफएसएल जांच के लिए भेजा दिया था. वहां से आई रिपोर्ट के अनुसार, 2 कपों में नशीली दवा पाई गई थी. इस का मतलब हत्यारा जो भी था, वह मृतकों का परिचित था.

पुलिस ने जानपहचान वालों और रिश्तेदारों को ध्यान में रख कर जांच आगे बढ़ाई. जगजीत सिंह ने एएसआई दविंदर सिंह और भूपिंदर सिंह के नेतृत्व में 2 अलगअलग टीमें बना कर इस मामले की जांच पर लगा दिया था. इस के साथसाथ मुखबिरों की भी मदद ली गई. जानपहचान वालों और रिश्तेदारों में किसी पर शक नहीं हो रहा था. सब काफी दुखी लग रहे थे. मृतका संतोष कौर की बहन की बेटी का पति जसप्रीत सिंह उर्फ जस्सी तो बिना कुछ खाएपिए दिनरात घर वालों की ही नहीं, पुलिस वालों की भी जांच में हर तरह से मदद कर रहा था. धीरेधीरे एक महीना गुजर गया. पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगा. आखिर एक दिन जगजीत सिंह के एक मुखबिर ने उन्हें एक ऐसी खबर दी, जिस से उन्हें जांच को आगे बढ़ाने की राह मिल गई.

मुखबिर ने उन्हें बताया था कि सुखदेव सिंह की बहू किरणदीप कौर के अपने पति गुरप्रीत सिंह के मौसी के दामाद जसप्रीत सिंह उर्फ जस्सी के साथ अवैध संबंध थे. कहीं उन दोनों की हत्या इसी अवैध संबंध की वजह से तो नहीं हुई.

यह वही जसप्रीत सिंह उर्फ जस्सी था, जो दिनरात पुलिस के साथ हत्यारों की तलाश में जुटा था, ताकि सपने में भी कोई उस पर शक न कर सके. इस के बाद जगजीत सिंह ने सीधे उस पर और किरणदीप कौर पर हाथ न डाल कर पहले उन के मोबाइल नंबर ले कर दोनों की काल डिटेल्स और लोकेशन निकलवाई.

काल डिटेल्स के अनुसार, पिछले डेढ़ महीने में जसप्रीत सिंह और किरणदीप कौर के बीच लगातार काफी लंबीलंबी बातें हुई थीं. 26 मार्च, 2016 की दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे के बीच दोनों में न जाने कितनी बार बातें हुई थीं. ज्यादातर फोन किरणदीप कौर ने ही किए थे. जसप्रीत सिंह मिस्डकाल करता था तो आस्ट्रेलिया से किरणदीप कौर फोन करती थी.

इन बातों का पता चलने के बाद जगजीत सिंह ने हत्याकांड के बारे में बात करने के बहाने जसप्रीत सिंह को थाने बुला कर उस का फोन ले कर चेक करवाया तो इस दोहरे हत्याकांड का रहस्य उजागर हो गया. पता चला कि मृतकों की बहू किरणदीप कौर ने ही प्रेमी जसप्रीत सिंह उर्फ जस्सी से दोनों की हत्या करवाई थी.

जगजीत सिंह ने जसप्रीत सिंह उर्फ जस्सी को उसी समय हिरासत में ले लिया. वह भी समझ गया कि झूठ बोलने से कोई फायदा नहीं है, इसलिए बिना किसी हीलाहवाली के उस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि किरणदीप कौर के कहने पर ही उस ने अपने दोस्तों वार्ड नंबर-6 टांडा निवासी अजय कुमार उर्फ बंटी तथा बुताला ब्यास निवासी मनिंदर सिंह के साथ मिल कर मौसा ससुर सुखदेव सिंह और मौसी सास संतोष कौर की हत्या गला दबा कर की थी.

इस के बाद जगजीत सिंह ने उसी दिन अजय कुमार, मनिंदर सिंह और किरणदीप कौर को गिरफ्तार कर लिया था. अगले दिन सभी को अदालत में पेश कर के पूछताछ के लिए 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया गया. करीबी लोगों की गिरफ्तारी से घर वाले ही नहीं, सब हैरान तो थे ही, गहरे सदमे में भी थे. खासकर गुरप्रीत सिंह उर्फ गोल्डी, जिस के मांबाप मारे गए थे तो उन की हत्या के आरोप में पत्नी गिरफ्तार हो गई थी.

अभियुक्तों से पूछताछ के बाद दिल दहला देने वाले इस दोहरे हत्याकांड की जो कहानी प्रकाश में आई, वह स्वार्थ और वासनापूर्ति में उलझी आज की आधुनिक और भटकी हुई युवा पीढ़ी की घिनौनी सोच का नतीजा थी.

गुरप्रीत सिंह उर्फ गोल्डी की मौसेरी बहन जसप्रीत सिंह उर्फ जस्सी को ब्याही थी, इसलिए वे जीजासाले लगते थे. लेकिन रिश्ते से ज्यादा दोनों के बीच दोस्ती थी. गुरप्रीत सिंह की शादी से सब से ज्यादा जसप्रीत ही खुश था. शादी के बाद गुरप्रीत और जसप्रीत अपनीअपनी पत्नियों को साथ ले कर पंजाब के अनेक पर्यटनस्थलों पर घूमने भी गए थे.

एक साथ घूमने की वजह से किरणदीप कौर और जसप्रीत सिंह एकदूसरे से काफी घुलमिल गए थे. पासपोर्ट और वीजा न होने की वजह से किरणदीप कौर यहीं रह गई थी, जबकि गुरप्रीत सिंह आस्ट्रेलिया चला गया था. जाते समय उस ने मौसेरी बहन मनप्रीत कौर और उस के पति जसप्रीत सिंह से किरणदीप कौर का हर तरह से ध्यान रखने को कहा था.

गुरप्रीत सिंह के आस्ट्रेलिया जाते समय उस के कहे अनुसार, उस की मौसेरी बहन मनप्रीत कौर तो कभी किरणदीप से मिलने नहीं आई, लेकिन उस का पति जसप्रीत सिंह हर दूसरेतीसरे दिन उस से मिलने उस के घर आया करता था. धीरेधीरे वह बिना नागा रोज आने लगा.

उन का हंसीमजाक का रिश्ता था, इसलिए जसप्रीत सिंह और किरणदीप कौर अलग कमरे में बैठ कर आपस में बातें ही नहीं करते थे, बल्कि खूब हंसीमजाक भी करते थे. जल्दी ही किरणदीप कौर उस के साथ बाजार भी जाने लगी. इसी सब का नतीजा था कि उन के बीच नजदीकियां इतनी बढ़ गईं कि उन के बीच शारीरिक संबंध बन गए.

पहले तो सुखदेव सिंह और संतोष कौर ने इसे ननदोई और सलहज का रिश्ता मान कर नजरअंदाज किया और उन के हंसीमजाक पर कोई आपत्ति नहीं जताई. लेकिन जब बात बेशरमी की हद तक पहुंच गई तो उन्होंने बहू को समझाते हुए मर्यादा में रहने की बात कही, जो किरणदीप कौर को काफी नागवार लगी.

अब उसे न सासससुर का डर रह गया था और न शरम. उसे जो करना होता था, वह अपनी मरजी से करती थी. सासससुर के मना करने के बावजूद किरणदीप कौर का जसप्रीत के साथ न घर से बाहर जाना बंद हुआ और न उस का घर आना.

सुखदेव सिंह और संतोष कौर बहू की इन हरकतों से दुखी ही नहीं थे, बल्कि असमंजस में भी थे कि दोनों को कैसे समझाएं. न वे बहू को डांट सकते थे, न ही जसप्रीत को कुछ कह सकते थे. इस की वजह यह थी कि अगर वह दामाद को कुछ कहते तो बात खुलने पर बिरादरी में बदनामी हो सकती थी. इसलिए उन्होंने चुप रहना ही उचित समझा.

संयोग से उसी बीच किरणदीप कौर की आस्ट्रेलिया जाने की सारी प्रक्रिया पूरी हो गई और वह वहां चली गई तो सुखदेव सिंह और संतोष कौर ने राहत की सांस ली. किरणदीप कौर आस्ट्रेलिया तो चली गई, लेकिन उसे अधिक दिनों तक न वहां की खूबसूरती और आकर्षण बांध सका और न पति का प्यार. जसप्रीत के प्यार में पागल किरणदीप कौर सासससुर की सेवा के बहाने पंजाब लौट आई.

पंजाब आ कर किरणदीप कौर पहले की ही तरह जसप्रीत सिंह से मिलनेजुलने लगी. आस्ट्रेलिया से लौटने के बाद वह काफी आधुनिक भी हो गई थी. सुखदेव सिंह और संतोष कौर को अब बहू मुसीबत लगने लगी थी, लेकिन इस बार वह पहले की तरह चुप नहीं रहे. उन्होंने किरणदीप कौर को टोकना और समझाना शुरू कर दिया. उसे ही नहीं, जसप्रीत सिंह को भी समझाया.

इस के बाद जसप्रीत ने उन के घर आना बंद कर दिया. सासससुर की बातों से किरणदीप कौर और जसप्रीत सिंह समझ गए थे कि उन के अनैतिक संबंधों की बात अब छिपी नहीं रही. जसप्रीत ने घर आना बंद कर दिया था और किरणदीप कौर भी ज्यादा समय तक बाहर नहीं रह सकती थी. इसलिए सुखदेव सिंह और संतोष कौर दोनों को खटकने लगे. ऐसे में जब किरणदीप कौर ने कहा कि इस हालत में उसे गुरप्रीत के पास आस्ट्रेलिया चली जाना चाहिए तो जसप्रीत ने कहा, ‘‘तुम यह क्या कह रही हो, तुम्हारे जाने के बाद मेरा क्या होगा?’’

‘‘तुम्हारा क्या होगा, मुझे पता नहीं, लेकिन जब तक घर में यह बूढ़ा और बुढि़या है, तब तक हम ठीक से मिल नहीं सकते.’’ किरणदीप कौर ने कहा.

‘‘तो फिर चलो कहीं भाग चलते हैं.’’ जसप्रीत ने कहा.

जसप्रीत की इस बात पर किरणदीप कौर ने हंसते हुए कहा, ‘‘भागने के लिए तुम्हारे पास पैसे भी हैं? कोई कामधाम तो करते नहीं, मुझे भगाने के सपने देख रहे हो? तुम्हारे कहने से मैं इतनी जमीनजायदाद, धनदौलत और विदेशी नागरिकता छोड़ दूंगी? कुछ ऐसा सोचो कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.’’

‘‘तो फिर दोनों को निपटा देते हैं. इतनी बड़ी कोठी में कौन उन्हें मार गया, किसी को कहां पता चलेगा?’’

‘‘ये हुई न पते की बात.’’ किरणदीप कौर ने कहा, ‘‘सुनो, मैं जैसा कहूं, तुम वैसा ही करो.’’

किरणदीप कौर ने सासससुर की हत्या की फूलप्रूफ योजना बना कर उस में जसप्रीत सिंह के दोस्तों अजय कुमार उर्फ बंटी और मनिंदर सिंह को भी शामिल कर लिया. जसप्रीत और उस के ये आवारा दोस्त कुछ करतेधरते तो थे नहीं, इसलिए तीनों पर काफी कर्ज हो गया था. किरणदीप कौर ने कहा था कि अगर वे उस के सासससुर की हत्या वाला काम कर देंगे तो वह तीनों का कर्ज तो चुकता करवा ही देगी, ऊपर से 5-5 लाख रुपए और भी देगी. यह काम कब और कैसे करना है, यह भी किरणदीप कौर ने जसप्रीत सिंह को समझा दिया था.

योजना के अनुसार, किरणदीप कौर ने गुरप्रीत सिंह से कह कर अपना और छोटी ननद संदीप कौर का आस्ट्रेलिया जाने का वीजा लगवा लिया और फरवरी, 2016 में वह संदीप कौर के साथ आस्ट्रेलिया चली गई. जाते समय वह जसप्रीत को खर्च के लिए काफी रुपए दे गई थी.

गुरप्रीत सिंह जब से आस्ट्रेलिया गया था, तब से वह मांबाप को अपने पास आस्ट्रेलिया बुलाना चाहता था. किरणदीप कौर आस्ट्रेलिया पहुंची तो सब से पहले उस ने यही बताया कि अब वह अपने मांबाप को हमेशा के लिए आस्ट्रेलिया बुला सकता है, क्योंकि उन के यहां आने की सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. वह इसी हफ्ते उन के टिकट भेजने जा रहा है.

यह सुन कर किरणदीप कौर बेचैन हो उठी. उसे लगा कि अगर वे दोनों आस्ट्रेलिया आ गए तो फिर न उन की हत्या हो सकती है और न ही वह कभी जसप्रीत के पास पंजाब जा सकती है. दोनों फोन द्वारा संपर्क में तो थे ही, गुरप्रीत टिकट भेजे उस के पहले ही किरणदीप कौर ने उन्हें खत्म करने को कह दिया.

26 मार्च, 2016 की दोपहर 3 बजे जसप्रीत सिंह अपने दोस्तों मनिंदर सिंह और अजय कुमार को कोठी के बाहर कुछ दूरी पर खड़ा कर के अकेला ही कोठी के अंदर चला गया. जसप्रीत सुखदेव सिंह और संतोष कौर को नमस्कार कर के उन के पास बैठ कर हालचाल पूछने लगा. उस ने चाय पीने की इच्छा व्यक्त की. संतोष कौर चाय बनाने के लिए जाने लगीं तो उस ने उन्हें रोकते हुए कहा, ‘‘मौसीजी, आप आराम करें. मैं खुद ही चाय बना लाता हूं.’’

इस के बाद रसोई में जा कर उस ने 3 कप चाय बनाई और 2 कपों में नशे की दवा मिला दी, जिसे पीते ही सुखदेव सिंह और संतोष कौर बेहोश हो गए. इस के बाद उस ने फोन कर के बाहर खड़े मनिंदर सिंह एवं अजय को अंदर बुला लिया और उन की मदद से दोनों की गला घोंट कर हत्या कर दी. इस के बाद उन्होंने उन के मुंह पर तकिया रख कर भी दबाए रखा. जब उन्हें विश्वास हो गया कि दोनों मर गए हैं तो जसप्रीत संतोष कौर के हाथों की सोने की चूडि़यां, कानों की बालियां और अंगूठियां खर्च के लिए घर में रखे 17 हजार रुपए ले कर दोस्तों के साथ चला गया. जाने से पहले उस ने कोठी से ही किरणदीप कौर को हत्या की जानकारी फोन द्वारा दे दी थी. यही नहीं, फोटो भी खींच कर वाट्सऐप द्वारा भेज दिया था. पालतू कुत्ते को उस ने उस के कमरे में बंद कर दिया था.

पूछताछ के बाद जगजीत सिंह ने जसप्रीत सिंह, अजय कुमार और मनिंदर की निशानदेही पर संतोष कौर के गहने और 2 हजार रुपए बरामद कर लिए थे. शेष रुपए उन्होंने खर्च कर दिए थे. रिमांड अवधि समाप्त होने पर 30 अप्रैल, 2016 को सभी अभियुक्तों को अदालत में पेश कर के 2 दिनों के और रिमांड पर लिया गया. इस दौरान अन्य सबूत जुटा कर 1 मई को फिर से उन्हें अदालत में पेश किया गया, जहां से सभी को जिला जेल भेज दिया गया. मामले की जांच कर के जगजीत सिंह ने चार्जशीट अदालत में पेश कर दी गई है. मुकदमा अभी विचाराधीन है.     

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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