पड़ोसी का 4 वर्षीय बेटा मोनू जब बच्चों के साथ पार्क में खेलने जाता तो अकसर एक बच्चे से मार खा कर रोता हुआ घर लौटता था. एक दिन उस की मम्मी ने कहा, ‘‘अब जब भी वह तुम्हें मारे तो तुम भी उस की पिटाई कर देना.’’ इस पर मोनू तपाक से बोला, ‘‘मम्मी, आप ही कहते हो कि गंदे बच्चे एकदूसरे को मारते हैं, मैं भी गंदा बच्चा बन जाऊं क्या?’’ मोनू का जवाब सुन कर उस की मम्मी की बोलती बंद हो गई.

निर्मल कांता गुप्ता, कुरुक्षेत्र (हरियाणा)

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एक दिन मैं पार्क में बैठी थी. बच्चों को दौड़तेखेलते देख रही थी. तभी वहां एक महिला अपने पोते तथा कुत्ते के साथ आई और मेरे साथ बैंच पर बैठ गई. बच्चा लगभग 3-4 साल का था. वह गेंद को दूर तक फेंक देती और दोनों को दौड़ कर लाने को कहती. ऐसा कई बार हुआ और अधिकतर कुत्ता ही पहले गेंद को मुंह में दबाए ले आता. इस पर उस महिला ने अपने पोते से कहा, ‘‘देख, तू अच्छे से नहीं खातापीता न. इसलिए तू तेज दौड़ नहीं पाता है और कुत्ते से हार जाता है,’’ इस पर बच्चे ने कहा, ‘‘दादीमां, ऐसी बात नहीं है, असल में कुत्ते के 4 पैर हैं और मेरे तो 2 ही हैं. इसलिए वह मेरे से जीत जाता है,’’ उस की यह बात सुन कर मैं और उस की दादी हंस पड़ीं.

ईशू मूलचंदानी, नागपुर (महा.)

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एक बार मेरे कमरे की दीवार पर ढेरों चींटियां कतारबद्ध चल रही थीं. मेरा तीन साल का बेटा बहुत ही ध्यान से आधे घंटे से एक ही जगह खड़ेखड़े चींटियों को देख रहा था. मैं ने पूछा, ‘‘बाबू, आप आधे घंटे से क्या देख रहे हो इन चींटियों में?’’ उस ने तुरंत कहा, ‘‘मम्मी, इन लोगों में ऐक्सिडैंट नहीं होता क्या?’’ मैं ने सोचा, ये ऐसा क्यों पूछ रहा है, फिर समझ में आया कि जब चींटियां चलती हैं तो जातीआती चींटियां एकदूसरे से मुंह से मुंह सटा कर निकलती हैं. मुझे बेटे की बात पर पहले तो हंसी आई, फिर एक सोच उभरी कि हम इंसान कभीकभी कितने खुदगर्ज बन जाते हैं कि किसी परिचित को देख कर भी अनदेखा कर के निकल जाते हैं. हम से हजार गुना बेहतर तो ये नन्ही चींटियां हैं जिन की आंखें न (मैं ने कहीं पढ़ा था कि चींटियों के आंखें नहीं होतीं) होते हुए भी वे एकदूसरे से मिले बगैर आगे नहीं बढ़तीं.

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