मैं 2 दिनों के लिए अपनी छोटी बहन के यहां दिल्ली से नोएडा गई थी. शाम को 7 बजे का समय होगा. हम दोनों बहनें पलंग पर बैठे परस्पर बातें कर रहे थे, टीवी पर सीरियल भी देख रहे थे. एकाएक बहन का 5 वर्षीय नाती नित्यम मायूस चेहरा लिए आया और हमारी गोद में लेट गया. बोला, ‘‘नानी, आखिर यह पृथ्वी क्यों बनी? इस को किस ने बनाया?’’
मैं ने पूछा, ‘‘क्या हुआ? आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं?’’
नित्यम ने कहा, ‘‘पृथ्वी नहीं होती तो मैं भी नहीं होता, हर रोज सब की डांटमार खाने के लिए.’’ इतना सुनते ही हम सभी हंसहंस कर लोटपोट हो गए.
सुमन सक्सेना, नोएडा (उ.प्र.)
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मामाजी हमारे घर आए हुए थे. उन्होंने मुझ से पूछा कि क्यों भाई, आप की पढ़ाई तो ठीक ढंग से चल रही है? इस पर मेरे पिताजी ने कहा, पढ़ाई तो कम करता है, 2-3 चमचों के साथ घूमता ज्यादा है. थोड़ी देर बाद मेरी छोटी बहन हलवा ले कर आई. मेरी प्लेट में चम्मच नहीं था, इसलिए मैं ने उसे चम्मच लाने के लिए कहा. तो वह फट से बोली, ‘‘दिनभर तो 2-3 चम्मचों के साथ घूमते हो, निकालो और खाओ.’’
इतना सुनते ही सब लोग इतना हंसे कि बेदम हो गए. बाद में पता चला कि चम्मच खो जाने की वजह से उसे डांट पड़ी थी और वह मुझे चम्मच चोर मान बैठी.
शिवा वर्मा, फतेहपुर (उ.प्र.)
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मेरा 4 वर्ष का भतीजा चीकू बहुत नटखट है. सर्दी में जब जुकाम से उस की नाक बंद हो गई तो वह हमें बहुत परेशान कर रहा था, मेरे पास आ कर बोला, ‘‘बूआ मेरी नाक में कुछ है, खुल ही नहीं रही, कुछ करो न.’’ मैं ने तभी डाक्टर से फोन कर दवा पूछी. उन के कहने पर मैडिकल स्टोर से दवा खरीदी और चीकू की नाक में 1-1 बूंद डाल दी, फौरन नाक खुल जाने से वह खुश हो गया. कुछ दिनों बाद मैं लैपटौप पर काम करने जा रही थी और विंडो नहीं खुल रही थी. मैं ने भैया से कहा, ‘‘भैया, क्या करूं यह विंडो तो खुल ही नहीं रही.’’ तभी चीकू की आवाज आई, ‘‘बूआ, इस में नोज ड्रौप डाल दो, फौरन खुल जाएगी,’’ यह सुन कर हम हंसे बिना नहीं रह सके.