जयललिता कइयों की अभिभावक थीं पर घोषित तौर पर खुद का वारिस नहीं छोड़ गई हैं. नतीजतन, कोई भी उन की छोड़ी खैरात और अकूत दौलत को नश्वर नहीं समझना चाहता. शुरुआती समझौते या फार्मूले के तहत जयललिता के चहेते पनीर सेल्वम मुख्यमंत्री बन गए और जयललिता की अभिन्न सहेली शशिकला नटराजन यानी चिन्नमा (मौसी) को पार्टी की बागडोर सौंप देने पर सहमति बन गई.

अन्नाद्रमुक की एक बागी नेता शशिकला पुष्पा चिन्नमा को पार्टी महासचिव बनाए जाने के लिए पार्टी के बड़े नेता लामबंद हैं. मुमकिन है, वे कुछ न कर पाएं लेकिन अन्नाद्रमुक की टूटफूट और रंग लाएगी जिस का फायदा उठाने के लिए भाजपा ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस का पहला चरण फिल्म अभिनेता रजनीकांत को मुख्यि बना कर पेश करना है. खुद रजनीकांत भी तमिलनाडु का सीएम बनने के लिए छटपटा रहे हैं और इस टूटफूट का फायदा उन्हें मिलना तय है.

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