हमारे कसबे में बालाजी टे्रडिंग कंपनी के नाम से एक दुकान खुली जो कि किसी भी घरेलू सामान की आधी राशि जमा कराने पर 15 दिन के बाद उस सामान की डिलीवरी देती थी. मेरे पति भी बाजार से लौटते समय 3,800 रुपए में सोफासैट व एक ड्रैसिंग टेबल की राशि जमा करा आए. पूरे कसबे के लोग 13-14 दिन तक काफी तादाद में सामान बुक कर चुके थे. जब 15वें दिन मेरे पति व अन्य लोग अपने सामान की डिलीवरी लेने पहुंचे तो देखा कि जो दुकान अभी तक सजीसंवरी रह कर सामान से भरी हुई थी वहां पर ताला लगा हुआ था. कंपनी मालिक सामान व सभी के पैसे ले कर चंपत हो चुका था.
– सुनीता वर्मा, दौसा (राजस्थान)
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बात कई साल पहले की है. हमारा आरक्षण झांसी से गोरखपुर की ट्रेन में था. मेरे पति ने कुली को कोच और सीट नंबर बताया और मुझे उस के साथ जाने को कहा. जब मैं अपने रिजर्व कूपे में पहुंची तो वहां पहले से ही 3 लोगों का परिवार बैठा था. मेरे बताने पर कि हमारा रिजर्वेशन है, उन्होंने उठने से मना कर दिया. टिकट कलैक्टर से कहा तो उस ने कहा कि आप का डब्बा पीछे है. मुझे लगा कि मुझे समझने में गलती हुई है और मैं पीछे जाने के लिए पलटी तो मेरे पति आ गए और उन्होंने बताया कि यही कूपा हमारा है.
सारी बात जान कर मेरे पति को क्रोध आ गया और उन्होंने कहा, ‘‘ठीक है जब तक ये सीटें हमें नहीं मिलतीं तब तक मैं ट्रेन को नहीं चलने दूंगा.’’ इतना कहना था कि वे लोग अपनी जगह चले गए. बाद में टिकट कलैक्टर ने बताया कि वे यात्री रेलवे औफिसर थे और उन का रिजर्वेशन जिस कोच में था उस के डब्बों की हालत काफी खराब थी. वे लोग अपना आराम पाने के लिए दूसरे को परेशान कर सकते हैं यह सोच कर दुख हुआ.
– विमला सिंह, नागपुर (महा.)
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एक बार कई दिनों तक लगातार बरसात होने के बाद जब मौसम साफ हुआ तो मैं अपने खेतों में लगी हुई धान की फसल को देखने निकला. तभी मेरी नजर सामने से आ रहे एक काले रंग के सांप पर पड़ी. उस से बचाव का मैं कोई उपाय करता कि वह सांप भी शायद मुझ से डर कर पानी से भरे धान के खेत में कूद कर भागने लगा. मैं भी मारे डर के तुरंत भाग निकला. काफी दूर आने पर जब देखा कि सांप नहीं दिखाई पड़ रहा है तो जान में जान आई.
– विष्णु वर्मा, फैजाबाद (उ.प्र.)