कंपनियों के शेयर में निवेश करने वालों के लिए मार्च खुशियों का वसंत ले कर आया. हालांकि मध्य मार्च में बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई का सूचकांक पिछले 6 सप्ताहों की ऊंचाई से फिसला भी. फरवरी में औंधेमुंह गिरे बाजार ने रेल बजट और आम बजट जैसे अहम मौकों पर भी निराश किया लेकिन मार्च के शुरू होते ही पूंजी बाजार में दीवाली सा माहौल शुरू हो गया, बीएसई का सूचकांक कुलांचें भरने लगा. वैश्विक बाजारों से मिले सकारात्मक संकेतों और विदेशी संस्थागत निवेशकों की जबरदस्त लिवाली के दम पर बाजार में तूफानी तेजी आ गई और सूचकांक एक दिन में ढाई साल की सब से ऊंची छलांग लगा गया. सूचकांक में 777.35 अंकों की उछाल दर्ज की गई. इस से पहले सितंबर 2013 में सूचकांक में 920 अंकों की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी.

इधर, वैश्विक बाजारों के कमजोर संकेतों से बीएसई का संवेदी सूचकांक 15 मार्च को 6 सप्ताह की ऊंचाई से फिसलता हुआ 253.11 अंक गिर कर 24,551.17 अंक पर आ गया. कारोबारियों की मुनाफा वसूली से नैशनल स्टौक एक्सचेंज का निफ्टी भी 7,500 अंक से नीचे लुढ़क गया. कारोबार की समाप्ति पर निफ्टी 78.15 अंक गिर कर 7,460.60 अंक पर आ गया. बाजार के ऐक्सपर्ट्स का मानना है कि सीरिया में शांति को ले कर चल रहे अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम के सकारात्मक नतीजे आते प्रतीत होते हैं. जिन के परिणामस्वरूप दुनियाभर के शेयर बाजारों में रौनक लौटेगी और निवेश में बढ़ोतरी होती रहेगी.

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