छुट्टियों में जब हम घूमने के इरादे से निकलते हैं तो सब से पहला खयाल दिल में आता है कि हम रहेंगे कहां. होटल और रिसोर्ट में ठहरना जहां बड़ा खर्च कराता है वहीं पर अपने मनमुताबिक खाना भी नहीं मिलता. मगर होम स्टे सुविधा ने पर्यटकों की ये दिक्कतें खत्म कर दी हैं. पर्यटकों के लिए होम स्टे कई मानो में खास और बेहतर चुनाव है. आइए जानते हैं कैसे. काम से 4 दिनों की भी छुट्टी मिले तो मोहित का दिल चाहता है वह घर में मम्मी की खिचखिच, औफिस में सहयोगियों से कंपीटिशन व शहर की गरम सड़कों पर सुबहशाम बाइक दौड़ाने के रूटीन से निकल कर अपनी गर्लफैंड सोफिया के साथ दूर किसी मनोरम जगह पर प्रकृति के करीब कुछ रोमांटिक पल बिता कर आए.

घूमनाफिरना मोहित का शौक भी है. पहले छुट्टियों में उस के मम्मीपापा सभी बच्चों को ले कर रिश्तेदारी में चले जाते थे. समय बदला, परिवार छोटे हुए तो छुट्टियों में हिल स्टेशन जाने लगे. जहां वे होटल में कमरे बुक करवा कर रहते थे. फिर रिसोर्ट और फार्महाउस का जमाना आ गया. जो काफी महंगे होते हैं परंतु अंदर ही सारी सुविधाएं जैसे स्विमिंग पूल, झूले, रैस्तरां, बार, शोरूम आदि मिलते हैं. लेकिन ये तमाम जगहें महंगी होने के साथ वह खुशी नहीं देतीं जो किसी मनोरम स्थल पर वहां के स्थानीय लोगों के बीच उन के साथ रहने में और उन्हें जानने में मिलती है.

मोहित 26 साल का जवान लड़का है. वह और उस की गर्लफ्रैंड सोफिया दोनों गुरुग्राम के एक औफिस में कार्यरत हैं. मोहित को नएनए लोगों से मिलने और उन से बातें करने का शौक है. उस की गर्लफ्रैंड सोफिया को भी लोगों से मिलने का शौक है. उसे होटल के कड़ाही चिकन से ज्यादा स्वादिष्ठ गांव का लिट्टीचोखा लगता है, जो लकड़ी के चूल्हे पर बनता है. इसलिए वीकैंड पर मोहित और सोफिया बाइक पर उत्तराखंड या हिमाचल के किसी गांव की सैर पर निकल पड़ते हैं और वहां होम स्टे में रह कर ग्रामीण पर्यटन का खूब लुत्फ उठाते हैं. सोफिया बहुत चुलबुली है.

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