आभासी मुद्रा बिटकौयन का मूल्य 10 लाख रुपये प्रति बिटकौयन तक की उंचाई छूने के बीच नियामकों को आशंका है कि इस तरह की मुद्राओं के नियमन के लिये किसी ढांचे के अभाव के बीच ई पोंजी जैसे घोटाले सामने आ सकते हैं.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि रिजर्व बैंक व सेबी सहित विभिन्न सरकारी एजेंसियां शीघ्र ही बैठक करेंगी ताकि निवेशकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों पर विचार किया जा सके. एजेंसियों को आशंका है कि नियामकीय कमियों का फायदा धोखाधड़ी करने वाले उठा सकते हैं.
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इस बारे में कई प्रस्ताव सामने हैं जिनमें एक यह है कि धन संग्रहण की अवैध योजनाओं पर लगाम लगाने के मौजूदा नियमों, मनी लौंड्रिंग व कालेधन से जुड़े कानूनों को इस तरह की मुद्राओं पर भी लागू किया जाए.
अधिकारियों के अनुसार आशंका इस बात की है कि इस तरह की मुद्राओं में अप्रत्याशित उछाल भारत में नब्बे के दशक में सामने आए प्लांटेशन घोटाले व 1920 के दशक में अमेरिका में सामने आए पोंजी घोटालों जैसे नये घपलों की नींव पड़ सकती है.
अधिकारियों के अनुसार इस तरह के मुद्दों पर उच्च स्तर पर विचार विमर्श किए जाने की जरूरत है. इस तरह के मामले पर पहले वित्तीय स्थिरता व विकास परिषद में विचार किया जा चुका है. अधिकारियों का कहना है कि लोगों को इस बारे में आगाह करने के लिए विशेष प्रचार अभियान शुरू करने पर भी चर्चा की जा सकती है.
इस मुद्रा का इस्तेमाल करने वाले इससे आइसक्रीम से लेकर बीयर तक खरीदते हैं. डौलर के मुकाबले इसकी विनिमय दर एक सप्ताह में 50 प्रतिशत से अधिक चढ़ चुकी है. इसका चलन 2009 में शुरू हुआ. इसे किसी देश के बैंकिंग विनियामक ने अभी मान्यता नहीं दी है और न ही इसकी कोई कानूनी तौर पर मान्य विनिमय दर ही है. अभी इस साल जनवरी के मध्य में इसकी विनिमय दर 752 डौलर के आस पास थी.
उल्लेखनीय है कि कूट लिखावट पर चलने वाली डिजिटल मुद्रा बिटकौयन इस समय सातवें आसामन पर है. ब्लूमबर्ग एजेंसी के अनुसार इसका भाव अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बीते 7 दिसंबर को भारतीय समयानुसार शाम चार बजे 15,242.99 डौलर पर चल रहा था जो इसका नया रिकौर्ड है.
इस अंधाधुध तेजी को देखते हुए यह चेतावनी दी जा रही है कि यह आभासी मुद्रा ‘एक सरपट भागती रेलगाड़ी जैसी बढ़ रही है जिसमें ब्रेक नहीं है.’ इस तेजी के कारण इस मुद्रा को मुख्य विनिमय बाजारों में निकट भविष्य में मान्यता देने की संभावना पर फिर आशंकाएं प्रकट होने लगी हैं.
क्या है पोंजी स्कीम
पिरामिड जैसी संरचना वाली इन स्कीमों में निवेशकों को भारी रिटर्न का वादा किया जाता है. इनमें पुराने निवेशकों को नए निवेशकों से जुटाई गई रकम रिटर्न के रूप में दी जाती है.
सीधी भाषा में कहें तो पोंजी स्कीम का मतलब है आपको बंपर रिटर्न के नाम पर ऐसे कारोबार में निवेश करने के लिए कहना जो वास्तव में है ही नहीं. इसलिए इनकी पहचान का सबसे अच्छा तरीका है वैसे रिटर्न के औफर जो पहली नजर में विश्वास करने लायक ही ना लगें.