भारतीय शेयर बाजार अपने यहां होने वाली गतिविधियों से प्रभावित होता है तो यह स्वाभाविक है लेकिन वास्तविकता यह भी है कि अमेरिकी छींक का भी हमारे शेयर सूचकांक पर गहरा असर पड़ता है. यह सच है कि सभी शेयर बाजार विदेशी बाजारों के शेयर बाजारों की गतिविधियों से ज्यादा प्रभावित होते हैं लेकिन अमेरिकी बाजार का हमें कुछ ज्यादा ही गहरा झटका लगता है. इस बार भी यही हुआ.

अमेरिका में फैडरल रिजर्व के अध्यक्ष ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने की उम्मीद जताई है, जिस के कारण दिसंबर की शुरुआत में बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई लगातार 3 दिनों तक गिरावट पर बंद हुआ. सूचकांक 3 दिसंबर को 2 सप्ताह की सब से बड़ी गिरावट पर बंद हुआ और इस के अगले कारोबारी दिवस को फिर 250 अंक ढह गया और 25 हजार अंक की तरफ तेजी से लुढ़क गया. 

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