इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ईएलएसएस ऐसी प्रभावी बचत योजना है जो इनकम टैक्स में छूट के साथसाथ अच्छा रिटर्न देने में भी सहायक हो सकती है. ये एक प्रकार से म्यूचुअल फंड हैं जो विविधकृत इक्विटी पर आधारित होते हैं. इन में किया गया निवेश शेयर बाजार में सूचीबद्घ कुछ निश्चित कंपनियों के शेयरों आदि में किया जाता है जिस से उन कंपनियों के शेयरों के मूल्यों में होने वाली वृद्घि का लाभ मिल जाता है. जो व्यक्ति सीधे शेयर बाजार में निवेश करने की क्षमता व विशेषज्ञता नहीं रखता है उस के लिए भी यह एक अच्छा विकल्प है.
ईएलएसएस में निवेश सिप यानी सिस्टेमैटिक इनवैस्टमैंट प्लान द्वारा भी किया जा सकता है और एकमुश्त भी. जो व्यक्ति अपना कर बचाने के लिए वित्तीय वर्ष में एकमुश्त राशि का विनियोग करने में समर्थ नहीं हो, उस के लिए सिप बहुत उपयोगी है. इस से कर बचत के लिए निवेशित यूनिटों को मूल्यों में उतारचढ़ाव के औसत का लाभ मिल जाता है. साथ ही, व्यक्ति में नियमित व अनुशासित तरीके से बचत की प्रवृत्ति का विकास होता है. इस तरह से उसे निवेश के लिए एकमुश्त राशि का प्रबंध करने की समस्या से भी मुक्ति मिल जाती है.
इस में कर बचत की अन्य योजनाओं जैसे पीपीएफ, एफडी, पोस्टऔफिस की सेविंग स्कीमों आदि की तुलना में लौकइन पीरियड भी कम होता है. ईएलएसएस में लौकइन पीरियड 3 वर्ष होता है जबकि अन्य योजनाओं में 5 वर्ष या इस से भी अधिक अवधि तक राशि निकालने की सुविधा नहीं होती. ईएलएसएस में 3 वर्ष की अवधि के बाद आवश्यकतानुसार राशि को निकाल कर आगामी वर्षों में कर बचत के लिए दोबारा भी निवेश किया जा सकता है और कर लाभ प्राप्त किया जा सकता है.
अच्छे रिटर्न का प्रभावी माध्यम
यह योजना उन लोगों के लिए भी उपयोगी है जिन्होंने अपनी नईनई नौकरी शुरू की है और उन की आय कर योग्य है. इस से एक तरफ उन में नियमित बचत की आदत बनती है वहीं वे मध्यम अवधि के वित्तीय लक्ष्यों जैसे कार की खरीद, बच्चों की शिक्षा, नए फोन की खरीद, घर के लिए टिकाऊ उपभोक्ता सामानों की खरीद आदि को भी पूरा कर सकते हैं.
ये फंड मोटे तौर पर 2 प्रकार के होते हैं. पहली श्रेणी में वे फंड शामिल होते हैं जिन में लाभांश का समयसमय पर भुगतान किया जाता है. यह लाभांश कर मुक्त होता है. जो व्यक्ति इन फंडों में कर बचत के साथसाथ नियमित आय भी चाहती हैं उन के लिए यह विकल्प उपयोगी होता है. दूसरी श्रेणी में ग्रोथ फंड होते हैं जिन में लाभांश का भुगतान नहीं किया जाता पर राशि मूल निवेश में जोड़ दी जाती है. इन में पूंजी वृद्घि का लाभ मिलता है.
ईएलएसएस सभी आयुवर्ग के लोगों के लिए उपयोगी है. कई बार यह धारणा होती है कि 60 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए यह योजना उपयोगी नहीं होती है लेकिन यह धारणा गलत है. यदि कोई व्यक्ति
60 वर्ष से ऊपर है और उस की आय या पैंशन आदि सब मिला कर कर योग्य है तो उन के लिए भी यह उपयोगी है. इस में जोखिम अपेक्षाकृत कम है लेकिन रिटर्न काफी अच्छा है. बहुत सी ईएलएसएस ने विगत वर्षों में काफी अच्छा रिटर्न दिया है. उदाहरण के लिए, ऐक्सिस लौंग टर्म इक्विटी फंड ने विगत 3वर्षों में 24.55 प्रतिशत वार्षिक रिटर्न दिया है.
इसी प्रकार, एसबीआई मैग्नम टैक्स गेन रैग्युलर ने पिछले 3 वर्षों में 14.23 प्रतिशत तथा टाटा इंडिया टैक्स सेविंग फंड रैग्युलर ने 3 वर्षों में 17.35 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. ये रिटर्न बैंक एफडी व अन्य परंपरागत बचत साधनों के जहां 8-9 प्रतिशत ब्याज मिलता है, की तुलना में काफी आकर्षक हैं. यद्यपि इन में कुछ हद तक जोखिम भी अधिक है.
ईएलएसएस अन्य म्यूचुअल फंडों की तरह बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं. इसलिए इन में निवेश करते समय सावधानी की जरूरत होती है. निवेश से पहले कंपनी के औफर डौक्यूमैंट को पढ़ना और कंपनी के विगत ट्रैक रिकौर्ड को देखना चाहिए. साथ ही, किसी अच्छे निवेश सलाहकार से सलाह ले कर निवेश करना चाहिए.
ईएलएसएस में प्रतिमाह न्यूनतम 1 हजार रुपए का निवेश किया जा सकता है तथा एकमुश्त कम से कम5 हजार रुपए का. इस योजना में निवेशित राशि आय कर की धारा 80 सी के अंतर्गत कुल 1.50 लाख रुपए तक के निवेश की सीमा में आती है.
इस प्रकार, ईएलएसएस कर बचत के साथसाथ अच्छा रिटर्न देने वाला एक प्रभावी माध्यम है. यदि नियमित रूप से इस में निवेश किया जाए तो लंबी अवधि में एक अच्छी राशि प्राप्त हो सकती है, साथ ही प्रतिवर्ष आय कर में भी अच्छी छूट प्राप्त हो सकती है.