मोदी सरकार ने फैसला किया है कि अगले 2 साल में देश की 5 लाख राशन की दुकानों पर जो इलैक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल (EPOS) लगाए जाने हैं, वह माइक्रो एटीएम की तरह भी काम करेंगे. नोटबंदी के बाद पर्याप्त एटीएम नहीं होने के कारण ग्रामीण इलाकों में लोगों को जिस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उस लिहाज से यह कदम बेहद अहम माना जा है.

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक फाइनैंस मिनिस्ट्री के डिपार्टमेंट ऑफ फाइनैंशल सर्विसेज ने इस सिलसिले में प्रधानमंत्री के नोटबंदी ऐलान से एक दिन पहले यानी 7 नवंबर को राज्यों को सर्कुलर भेजा था. इसमें राशन की दुकानों को इलैक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल के जरिए फाइनैंशल इन्क्लूजन को सपोर्ट करने और माइक्रो-एटीएम डबल करने की बात कही गई थी.

कई राज्य इन मशीनों को हासिल करने की प्रक्रिया में हैं, जिससे राशन दुकानों को आधार बायोमीट्रिक सिस्टम के जरिए ऑटोमेटिक तरीके से सब्सिडी का राशन देने में मदद मिलेगी. EPOS मशीनों को एक बार माइक्रो एटीएम की तरह काम करने लायक बनाने के बाद लोग अपने डेबिट या रूपे कार्ड्स से राशन दुकानों से पैसे निकालने के अलावा बाकी ट्रान्जैक्शंस भी कर सकते हैं.

देश में सिर्फ दो लाख एटीएम हैं और इनमें से कुछ ही ग्रामीण इलाकों में मौजूद हैं. नोटबंदी के मौजूदा अभियान के दौरान यह गड़बड़ी खुलकर सामने आई. गांवों के लोगों को अपने पुराने नोट बदलने या पैसा वापस लेने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. मौजूदा नोटबंदी अभियान में केंद्र सरकार ने बैंकों को ग्रामीण इलाकों में माइक्रो एटीएम और बैंक मित्र तैनात करने को कहा, ताकि घर-घर जाकर कैश निकासी में लोगों की मदद की जा सके.

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