भारतीय शेयर बाजारों में बीते सप्ताह तेजी रही है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि घरेलू बाजार की चाल तीन मुख्य कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक, कंपनियों के पहली तिमाही के नतीजे और भारतीय रिजर्व बैंक सहित केंद्रीय बैंक के संकेत शामिल हैं.
भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध खरीदारी से बाजार के दो संवेदी सूचकांक बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में सप्ताह में आगे चल कर सुधार तो हुआ, लेकिन सप्ताह के अंत में बाजार मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ. सेंसेक्स 33.26 अंकों यानी 0.12 फीसदी की कमजोरी के साथ 27,803.24 पर, जबकि निफ्टी 0.20 अंकों की मामूली कमजोरी के साथ 8,541.20 पर सपाट बंद हुआ.
नैशनल सिक्यॉरिटीज डिपॉजिटरी (एनएसडीएल) के आंकड़ों के मुताबिक, 18 से 22 जुलाई के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 5,235.42 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की. इसके साथ ही सभी की नजरें दो अगस्त को होने जा रही भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की आखिरी मौद्रिक नीतिगत समीक्षा बैठक पर होगी. ठीक इसी तरह, वस्तु एवं सेवा कर विधेयक पर भी बाजार की नजरें बनी रहेंगी. इक्विरस सिक्यॉरिटीज के हेड ऑफ इक्विटीज पंकज शर्मा के मुताबिक, 'हालांकि, इससे बाजार पर कोई तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा. इस बात पर विवाद नहीं किया जा सकता कि जीएसटी एक बड़ा और अत्यावश्यक संरचनात्मक ढांचा है. यदि यह पारित हो गया तो यह सही दिशा में उठाया गया कदम होगा.'