अब आपको अपने ग्रौसरी बिल को ज्यादा ध्यान से देखना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि आपको बेहद जल्द खुशखबरी मिलने वाली है. जी हां, जल्द ही मैक्सिमम रिटेल प्राइस पर बेचे जाने वाले चौकलेट, टूथपेस्ट, शैंपू, वाशिंग पाउडर और शेविंग क्रीम जैसे कई प्रौडक्ट्स के दाम घट जाएंगे. ऐसा इन्हें जीएसटी (गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स) के सबसे ऊंचे 28% रेट स्लैब से 18% स्लैब में लाने के चलते होगा. ग्रौसरी ही नहीं रेस्तरां बिल को भी 12% और 18% के स्लैब से निकालकर 5% के दायरे में रखा गया है. इसलिए अब आप बिल कटवाते समय ग्रौसरी बिल को ही नहीं बल्कि अपने रेस्तरां के फूड बिल को भी अच्छे से चेक करें.

राज्यों और केंद्र ने इस संबंध में नोटिफिकेशंस जारी करने के साथ नए रेट्स मंगलवार आधी रात से लागू किये. पीडब्ल्यूसी के इनडायरेक्ट टैक्स पार्टनर प्रतीक जैन का कहना है कि, 'अच्छा है कि जीएसटी काउंसिल ने एक खास तारीख यानी 15 नवंबर से बदलाव लागू करने का निर्णय किया क्योंकि पहले के कुछ मामलों में विभिन्न राज्यों ने अलग-अलग तारीखों पर अधिसूचनाएं जारी की थीं.

सरकार ने संशोधित दाम वाले स्टिकर लगाने के बारे में नई गाइडलाइंस अभी जारी नहीं की है. एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'कई प्रौडक्ट्स एमआरपी कैटेगरी में हैं, लिहाजा कंपनियों को या तो स्टिकर लगाना होगा या नए दाम प्रिंट करने होंगे. कुछ कंपनियों ने अपने ट्रेड चैनल में यह सूचना देनी शुरू कर दी है कि टैक्स कट का फायदा कंज्यूमर को तुरंत दिया जाए क्योंकि रिवाइज्ड स्टिकर लगाने या नया स्टिकर प्रिंट करने में वक्त लगेगा. ग्राहको को इसका लाभ तुरन्त देनें के लिए घड़ी कंपनी और एक प्रिंटर मेकर दाम तुरंत घटने की सूचना विज्ञापन के जरिये अखबारों में देने के बारे में सोच रही है. हालांकि समय की कमी को देखते हुए अधिकतर कंपनियां प्रौडक्ट्स के एमआरपी तुरंत नहीं घटा पाएंगी, लेकिन उन्होंने डीलरों और रिटेलरों से कहा है कि कीमतें कम की जानी चाहिए.' उन्होंने कहा कि कस्टमर्स को भी इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि किन प्रौडक्ट्स के दाम कितने घट सकते हैं, भले ही उस प्रौडक्ट पर एमआरपी कुछ भी लिखा हो.

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