सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी के चलते खुदरा महंगाई जून में 22 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. हालांकि, मई में औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि दर अप्रत्याशित तरीके से रिकवर करती हुई पॉजिटिव जोन में 1.2% पर आ गई है. महंगाई के मामूली तौर पर बढ़ने वाली खबर ने अगस्त में रेट कट की संभावना कम कर दी है, लेकिन अब तक हुई मॉनसून की बारिश ने महंगाई घटने के संकेत दे दिए हैं.

महंगाई के मोर्चे पर मुश्किलें बनी हुई हैं. मंगलवार को स्टैटिस्टिक्स ऑफिस की तरफ से डेटा जारी किए गए. डेटा के अनुसार, जून में कन्जयूमर प्राइस इंडेक्स 5.77% पर रहा, जबकि मई में यह 5.76% पर था. इसके मुताबिक रूरल इन्फ्लेशन जून में 6.2% रही, जबकि अर्बन एरिया में यह 5.26% दर्ज की गई थी. महंगाई का अनुमान लगाने वालों ने उसके मामूली कमी के साथ 5.7% रहने की बात कही थी. रघुराम राजन रिजर्व बैंक के गवर्नर का अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले 9 अगस्त को अंतिम बार मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू करेंगे. उनका टर्म 4 सितंबर को खत्म हो रहा है.

राजन ने मॉनसून पर हालात स्पष्ट होने तक इंतजार करने का मन बनाते हुए जून के रिव्यू में पॉलिसी रेट को जस का तस रहने दिया था. कोटक महिंद्रा बैंक की इकॉनमिस्ट उपासना भारद्वाज ने कहा कि इस साल 25 बेसिस प्वाइंट का रेट कट हो सकता है, लेकिन यह तुरंत नहीं होगा. उन्होंने कहा, 'अगस्त की पॉलिसी में रेट कट की सीमित गुंजाइश है क्योंकि आरबीआई की नजर मॉनसून की रफ्तार के साथ सब्जियों के दाम में मौसमी उछाल पर होगी. 'आरबीआई ने मार्च 2017 तक कन्जयूमर इन्फ्लेशन के लिए 5% का टारगेट फिक्स किया है, लेकिन मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की तरफ से इंट्रेस्ट रेट पर जल्द फैसला किए जाने से इसमें बदलाव आ सकता है. कमिटी सरकार के इन्फ्लेशन टारगेट हासिल करने के लिहाज से रेट तय करेगी.

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