रिटायरमेंट के चार साल बाद रतन टाटा फिर सुर्खियों में हैं क्योंकि टाटा संस के बोर्ड ने चेयरमैन सायरस मिस्त्री को हटाने का हैरान करने वाला फैसला लिया है. इससे टाटा और मिस्त्री परिवार के बीच कानूनी जंग शुरू हो सकती है. टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने सोमवार शाम को चौंकाने वाले बयान ने बताया कि 'मिस्त्री के परमानेंट रिप्लेसमेंट' के लिए सेलेक्शन कमेटी बनाई गई है, जो 4 महीनों में यह काम पूरा करेगी. इस बीच, मिस्त्री पर खराब परफॉर्मेंस और टाटा ग्रुप के आदर्शों से समझौते के आरोप भी दबी आवाज में लगाए जा रहे हैं.

रतन टाटा ने 20 साल तक बॉस रहने के बाद 2012 में यह जिम्मा मिस्त्री को सौंपा था. उन्हें अब देश के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप का अंतरिम चेयरमैन बनाया गया है. इस बीच, संकेत मिले कि मिस्त्री इस कदम के खिलाफ बोम्बे हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं. सेलेक्शन कमेटी में रतन के अलावा टाटा संस के बोर्ड मेंबर्स वेणु श्रीनिवासन, अमित चंद्रा, रोनेन सेन और लॉर्ड कुमार भट्टाचार्य को शामिल किया गया है. भट्टाचार्य ब्रिटेन में हाउस ऑफ लॉर्ड्स के फॉर्मर मेंबर रहे हैं.

नया चेयरमैन चुनने के लिए जो कमेटी बनाई गई है, इसमें टाटा संस के 9 डायरेक्टर्स में से अजय पिरामल, नितिन नोहरिया और फरीदा खंबाटा सहित 6 शामिल नहीं हैं. बोर्ड के 6 मेंबर्स ने मिस्त्री को हटाने के प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि इशात हुसैन और मिसेज खंबाटा वोटिंग में शामिल नहीं हुए.

मिस्त्री को हटाए जाने के बाद टाटा ग्रुप की शापूरजी पालोनजी ग्रुप के साथ कानूनी जंग शुरू हो सकती है. स्टील और टेलीकॉम बिजनेस में कई साल के लॉस के बाद मिस्त्री को ब्रिटेन में मजबूरन स्टील बिजनेस बेचने का फैसला करना पड़ा था. चीन में सुस्ती की वजह से टाटा मोटर्स की सब्सिडियरी जेएलआर के मुनाफे पर दबाव बना था. चीन कभी जेएलआर के लिए सबसे तेजी से बढ़ने वाला बाजार था.

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