देश की बड़ी दवा कंपनियों में से एक रैनबैक्सी (अब सन फार्मा का हिस्सा) में डेटा को लेकर गड़बड़ी का खुलासा करने वाले व्हिसलब्लोअर, दिनेश ठाकुर का कहना है कि खराब स्टैंडर्ड वाली दवाएं सप्लाई करने वालों पर फौजदारी मुकदमा चलाया जाए. इसके साथ ही उन्होंने देशभर में प्रॉडक्ट रिकॉल सिस्टम तैयार करने और ड्रग रेगुलेटर को ज्यादातर ताकतवर बनाने की जरूरत है. ठाकुर ने ये सुझाव स्वास्थय मंत्रालय को दिए हैं.
स्वास्थय मंत्रालय देश की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री को नियंत्रित करने वाले रूल्स में बड़े बदलाव करने के लिए स्टेकहोल्डर्स की राय ले रही है. ये सुझाव ठाकुर और सह-लेखक और वकील टी प्रशांत रेड्डी ने 123 पेज की एक रिपोर्ट में दिए हैं. इनमें ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के रूल 69 जैसे कुछ कानूनी प्रावधानों में संशोधन करने की सलाह दी गई है. रूल 69 के तहत अभी राज्यों के पास अधिकतर दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग और सेल्स के लिए लाइसेंस देने या रिन्यू करने की पावर है.
ठाकुर का कहना है कि इस प्रावधान की वजह से कानून को ठीक तरीके से लागू करने में मुश्किल हो रही है. इससे राज्यों में कानून को लागू करने के लिए अलग-अलग मानक बनते हैं, खराब स्टैंडर्ड वाली दवाओं को रिकॉल करने के लिए कोऑर्डिनेशन में कमी होती है और मैन्युफैक्चरर्स के लाइसेंस को सस्पेंड करने को लेकर एक समान तरीका नहीं अपनाया जाता. ठाकुर ने कहा है कि पहले कई कमेटियों की ओर से और ड्रग पॉलिसीज में लाइसेंस देने की पावर को एक नेशनल ड्रग रेगुलेटर के तरह सेंट्रलाइज करने की सिफारिशों के बावजूद मौजूदा सिस्टम में इस पावर को बांटा जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार सिफारिशों को लागू करने को लेकर गंभीर होती तो 12 वर्ष पहले ही रूल्स बदल दिए गए होते.