चीन विकास के नाम पर दुनिया को तबाह करने वाली नीति पर चल रहा है. वह अपने विकास की ऐसी योजना पर काम कर रहा है जिस के कारण पूरी दुनिया कूड़े के ढेर में तबदील हो जाएगी लेकिन वह समृद्धि की राह पर तेजी से बढ़ेगा. चीन सरकार ने हाल ही में अपने इस्पात और रासायनिक पदार्थों के आयात व निर्यात को बढ़ावा देने के लिए करों में कटौती की है. इस से स्टील के सामान का उस का निर्यात बढ़ेगा. यूरोप, अमेरिका तथा भारत के साथ ही दुनिया के लगभग सभी मुल्कों में उस के सस्ते और कम टिकाऊ सामान की भारी मांग है. कर में छूट की नीति से उस का जल्दी खराब होने वाला माल पूरी दुनिया में तेजी से फैलेगा जो दुनिया को कूड़ादान बनाना शुरू कर देगा.
चीन की कंपनियों ने नवंबर तक लगातार 45वें माह अपने सामान की कीमतें घटाई हैं. नवंबर में उस ने करीब 5 लाख टन एल्युमिनियम और इस्पात से निर्मित सामान का निर्यात किया है जिस से उस के निर्यात में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. एल्युमिनियम और स्टील का निर्यात रिकौर्ड स्तर की तरफ बढ़ रहा है. यह ठीक है कि चीन में निर्मित सामान भारत के साथ अन्य देशों में खूब बिक रहा है लेकिन सस्ती दरों पर बिकने वाला उस का सामान टिकाऊ बिलकुल नहीं है इसलिए वह लोकप्रिय नहीं है. लेकिन चीन को गुणवत्ता तथा लोकप्रियता से कोई सरोकार नहीं है, उसे तो बाजार से पैसा लूटना है. विदेशी मुद्रा कमानी है. इस नीति से वह पैसा तो बना रहा है लेकिन दुनिया की बरबादी का कारण भी बन रहा है.