सौर ऊर्जा क्षेत्र में भारत को अपना ऊर्जा भविष्य सुरक्षित नजर आ रहा है और इसीलिए सरकार ने 2022 तक देश में 100 गीगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. इस लक्ष्य का 60 फीसदी तो सरकारी दावे के अनुसार जल्द जमीनी हकीकत बन जाएगा क्योंकि केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों ने इस के लिए ठोस कदम उठाए हैं. राज्य सरकारें इस दिशा में अपनी स्थिति के अनुकूल काम कर रही हैं. लेकिन शेष 40 प्रतिशत का लक्ष्य अगले 4 वर्षों में हासिल करना सरकार को चुनौतीपूर्ण लग रहा है.

इस चुनौती का सामना करने के लिए जल्द ही सरकार छतों को किराए पर दे कर यानी ‘रेंट औफ रूफ’ नीति तैयार करने की योजना पर काम कर रही है. इस नीति के तहत जिन घरों या भवनों पर सौर ऊर्जा संयंत्र नहीं लगेगा, उन छतों का इस्तेमाल भी सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए किराए के आधार पर किया जाएगा.

सरकार मानती है कि देश में 300 दिन धूप रहने का प्राकृतिक उपहार उपलब्ध है और यदि इस का पूरा लाभ सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए हो तो भारत में 750 गीगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है. इसी संभावना का पूरा इस्तेमाल कर देश की ऊर्जा जरूरत को शुद्ध ऊर्जा के जरिए पूरा किया जा सकता है. इस दिशा में आक्रामक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.

नागरिकों को उन के घरों की छतों के जरिए ही सौर ऊर्जा उत्पादित कर घर की बिजली जरूरत को पूरा करने के साथ ही उसे बेच कर आर्थिक लाभ कमाने के लिए अधिक उत्साह से प्रोत्साहित करने की जरूरत है.

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