बैंकों से बड़े कर्ज ले कर विदेश रवाना होना अब किसी के लिए आसान नहीं होगा. बड़े कर्जदारों पर बैंकों ने सख्ती शुरू कर दी है ताकि घोटाला कर के वे विजय माल्या तथा नीरव मोदी की तरह विदेशों में शरण नहीं ले सकें. फिलहाल बैंकों को कहा गया है कि वे 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के सभी कर्जदारों की सूची तैयार करें और उस में उन के पासपोर्ट का विवरण रखें.

अब बैंकों से कोई भी व्यक्ति इस राशि से ज्यादा ऋण लेगा, तो उस के पासपोर्ट का विवरण बैंकों को अपने पास रखना होगा. यदि कर्जदार के पास पासपोर्ट नहीं है तो उसे एक घोषणापत्र देना होगा जिस में वह उल्लेख करेगा कि उस के पास पासपोर्ट नहीं है. इस के अलावा बैंकों को 250 करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्जदारों पर कड़ी नजर रखने को कहा गया है.

बैंकों को देखना होगा कि कर्जदार नियमों का उल्लंघन न करें और समय पर बैंकऋण की किस्त देते रहें. कर्जदार की गतिविधि संदेहास्पद होने की स्थिति से उस के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही के लिए कदम उठाए जाएंगे. बैंक यह भी देखेंगे कि एक कर्जदार एक से ज्यादा बैंकों से कर्ज ले रहा है तो उन्हें इस की सूचना भी रखनी होगी.

बैंकों में आम लोगों के पैसे की लूट पर रोक लगानी आवश्यक है. देश में सब से बड़ा बैंक घोटाला होने के बाद सरकार का इस तरह के कदम उठाना जरूरी भी है. नीरव मोदी बैंक घोटाले के बाद बैंक घोटालों को ले कर विपक्षी दल जो तथ्य सामने ला रहे हैं उन के अनुसार 3 साल के दौरान 70 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला हुआ है. नीरव मोदी घोटाला 11,700 करोड़ तथा विजय माल्या घोटाला 9,000 करोड़ रुपए का है.

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