भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन्हें लोगों ने साल 2014 में विकास पुरुष का नाम देकर चुनाव जितवाया, चुनाव जीतने से पहले उनका और उनकी पार्टी के लोगों के कुछ रटे रटाए नारे थे जिनमें एक नारा था ‘बहुत हुई देश में महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार’.

लेकिन चुनाव जीतने के बाद ऐसा कुछ देखने को ही नहीं मिला की मोदी और उनकी टीम ने महंगाई को लेकर कोई ठोस कदम उठाया हो.

इन दिनों देश में पेट्रोल के दामों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें उफान पर नहीं है लेकिन इसके बावजूद पेट्रोल महंगा होता जा रहा है. बीते कुछ वक्त से पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के चलते मोदी सरकार को आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है.

अधूरा सच बोल रही है बीजेपी सरकार?

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को लेकर सफाई देने की कोशिश भी की थी लेकिन विरोधी दलों के हमले और जनता की निराशा नहीं थमी.

कच्चे तेल के दाम काबू में

आम जनता और विरोधी दलों का आरोप है कि वैश्विक स्तर पर क्रूड यानी कच्चे तेल के दाम काबू में हैं, ऐसे में सरकार टैक्स लगाकर पेट्रोल को महंगा बनाए हुए है.

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कुछ महीने पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में इंडियन बास्केट से जुड़े कच्चे तेल के दाम 54.58 डौलर प्रति बैरल थे. फिलहाल इस संख्या में बढ़ोतरी हुई है.

अब सवाल उठता है कि कच्चा तेल अगर सामान्य स्तर पर है तो फिर पेट्रोल इतना महंगा क्यों हो रहा है. इस सवाल का जवाब उलझा हुआ नहीं बल्कि बड़ा आसान है.

आपको जानकर ये हैरानी होगी कि जब पेट्रोल भारत पहुंचता है तो इतना महंगा नहीं होता. इस कौस्ट के मायने उस कीमत से हैं जिस पर उत्पाद आयात किया जाता है और इसमें अंतरराष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट लागत और टैरिफ शामिल हैं.

इस दाम में अगर आप मार्केटिंग कौस्ट, मार्जिन, फ्रेट और दूसरे शुल्क जोड़ दें तो पेट्रोल की वो कीमत आ जाएगी, जिस पर डीलरों को ये मिलता है.

अब आपके मन में यह ख्याल आ सकता है कि अगर डीलर को इतनी सस्ती दर पर पेट्रोल उपलब्ध है तो आम आदमी तक पहुंचते-पहुंचते यह इतना महंगा कैसे हो जाता है.

लेकिन असली खेल इसी के बाद शुरू होता है. 30.48 रुपए वाला दाम ग्राहक तक आते-आते 70 रुपए तक कैसे बन जाता है, इसके पीछे टैक्स का खेल है.

एक्साइज और वैट का कमाल

असल में डीलरों को मिलने वाली दर और ग्राहक को बेची जाने वाली कीमत में गजब का फासला एक्साइज ड्यूटी और वैट बनाते हैं. दिल्ली में आम आदमी को 15 जनवरी को पेट्रोल 74.20 रुपए प्रति लीटर पर मिला.

30.48 रुपए में आप प्रति लीटर 21.48 रुपए एक्साइज ड्यूटी जोड़ लीजिए. फिर इसमें जोड़िए 3.57 रुपए प्रति लीटर का डीलर कमीशन और अंत में 14.99 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से वैट, जो दिल्ली में 27 फीसदी है.

इस गणित से सरकार का ख़जाना तो भर रहा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल वाजिब दरों पर होने के बावजूद आम लोगों को पेट्रोल काफी महंगा मिल रहा है.

डीजल का भी यही हाल

कुछ ऐसी ही कहानी डीजल के साथ है. डीजल की ट्रेड पैरिटी लैंड कौस्ट 27.98 रुपए प्रति लीटर है, जिसमें 2.35 रुपए के शुल्क जुड़ने के बाद डीलरों को मिलने वाला दाम 30.33 रुपए पर पहुंच जाता है. लेकिन ग्राहकों को डीजल 61.74 रुपए प्रति लीटर की दर से मिल रहा है.

क्या आपको पता है मोदी सरकार के ये जालसाजी आंकड़ें

महंगाई और ऐसे ही कई बड़े मुद्दों को लेकर चुनाव जीतने वाली मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है तब से महंगाई दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है.

क्या आपको पता है पेट्रोल का दाम हर रोज सरकार द्वारा बढ़ाया जा रहा है और इसका आभास आम आदमी को बिल्कुल भी नही है. क्योंकि दाम इतना कम होता है कि किसी का ध्यान इस ओर नही जाता लेकिन अगर यही आंकडें आप एक महीने तक का देखें तो आपको यह बात खलने लगती है.

अब हम आपके सामने एक महीने तक लगातार हर दिन बढ़ने वाले पेट्रोल के दामों की कुछ जानकारी आपके समक्ष देने जा रहे हैं.

साल 2017

  • 01 दिसंबर : 67.71 रुपये प्रति लीटर
  • 02 दिसंबर : 67.78 रुपये प्रति लीटर
  • 03 दिसंबर : 68.02 रुपये प्रति लीटर
  • 04 दिसंबर : 68.34 रुपये प्रति लीटर
  • 05 दिसंबर : 68.64 रुपये प्रति लीटर
  • 06 दिसंबर : 68.88 रुपये प्रति लीटर
  • 07 दिसंबर : 69.03 रुपये प्रति लीटर
  • 08 दिसंबर : 69.13 रुपये प्रति लीटर
  • 09 दिसंबर : 69.20 रुपये प्रति लीटर
  • 10 दिसंबर : 69.35 रुपये प्रति लीटर
  • 11 दिसंबर : 69.68 रुपये प्रति लीटर
  • 12 दिसंबर : 69.92 रुपये प्रति लीटर
  • 13 दिसंबर : 70.19 रुपये प्रति लीटर
  • 14 दिसंबर : 70.40 रुपये प्रति लीटर
  • 15 दिसंबर : 70.53 रुपये प्रति लीटर
  • 16 दिसंबर : 70.59 रुपये प्रति लीटर
  • 17 दिसंबर : 70.70 रुपये प्रति लीटर
  • 18 दिसंबर : 70.76 रुपये प्रति लीटर
  • 19 दिसंबर : 70.83 रुपये प्रति लीटर
  • 20 दिसंबर : 70.85 रुपये प्रति लीटर
  • 21 दिसंबर : 71.01 रुपये प्रति लीटर
  • 22 दिसंबर : 71.15 रुपये प्रति लीटर
  • 23 दिसंबर : 71.22 रुपये प्रति लीटर
  • 24 दिसंबर : 71.37 रुपये प्रति लीटर
  • 25 दिसंबर : 71.51 रुपये प्रति लीटर
  • 26 दिसंबर : 71.52 रुपये प्रति लीटर
  • 27 दिसंबर : 71.56 रुपये प्रति लीटर
  • 28 दिसंबर : 71.60 रुपये प्रति लीटर
  • 29 दिसंबर : 71.62 रुपये प्रति लीटर
  • 30 दिसंबर : 71.62 रुपये प्रति लीटर
  • 31 दिसंबर : 71.66 रुपये प्रति लीटर

साल 2018

  • 01 जनवरी : 71.78 रुपये प्रति लीटर
  • 02 जनवरी : 71.95 रुपये प्रति लीटर
  • 03 जनवरी : 72.20 रुपये प्रति लीटर
  • 04 जनवरी : 72.34 रुपये प्रति लीटर
  • 05 जनवरी : 72.44 रुपये प्रति लीटर
  • 06 जनवरी : 72.58 रुपये प्रति लीटर
  • 07 जनवरी : 72.73 रुपये प्रति लीटर
  • 08 जनवरी : 73.01 रुपये प्रति लीटर
  • 09 जनवरी : 73.34 रुपये प्रति लीटर
  • 10 जनवरी : 73.44 रुपये प्रति लीटर
  • 11 जनवरी : 73.48 रुपये प्रति लीटर
  • 12 जनवरी : 73.54 रुपये प्रति लीटर
  • 13 जनवरी : 73.74 रुपये प्रति लीटर
  • 14 जनवरी : 73.88 रुपये प्रति लीटर
  • 15 जनवरी : 74.20 रुपये प्रति लीटर

आप इन आंकडों को अब देख और समझ चुके हैं और ये आंकड़ें तो सिर्फ दिसंबर 2017 और जनवरी 2018 तक के ही बढ़ते दामों को दर्शा रहे हैं.

आप जरा एक बार ये सोचिए की मोदी सरकार ने कितनी चालाकी से इस योजना पर काम किया है जिसमें की आपकी ही जेब से हर दिन पेट्रोल के लिये थोड़ा थोड़ा पैसा जाता रहा और जब आंकडें का अंक बदलता है तो आप यही सोचते हैं कि अरे अभी तो सिर्फ 50 पैसे ही दाम बढ़े हैं लेकिन हमारे महीने भर के आंकड़ें कुछ और ही कह रहे हैं.

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