साइबर अपराध सरकार पर बड़ा संकट बन रहा है. एटीएम तथा बैंकों से हर सप्ताह साइबर अपराध की 270 घटनाएं हो रही हैं और आम लोगों की गाढ़ी कमाई साइबर अपराधी एक ही क्लिक में लूट रहे हैं. संसद में भी आएदिन मामले उठ रहे हैं लेकिन इस दिशा में सरकार ठोस कदम नहीं उठा पा रही है. असंख्य साइबर अपराधों की प्राथमिकी दर्ज नहीं होती है. यदि सभी घटनाएं पुलिस में दर्ज हों तो साइबर अपराध का आंकड़ा कल्पना से बहुत बड़ा होगा.

सामान्य आदमी लुटता है और पुलिस को सूचना देने से भी डरता है क्योंकि पुलिस का रवैया लोगों को गुमराह करने वाला होता है. इस के बावजूद सरकार कहती है कि पिछले 3 वर्षों में देशभर में 43 हजार से ज्यादा साइबर अपराध की घटनाएं हुई हैं जिन में लोगों के 250 करोड़ रुपए से ज्यादा लूटे गए हैं.

साइबर लूट का यह आंकड़ा वास्तविकता का 50 फीसदी से कम है. फिर भी वित्त वर्ष 2014-15 में अपराध की करीब 13,100 घटनाएं हुई हैं जबकि 2015-16 में करीब 17 हजार और 2016-17 में 16,500 हजार घटनाएं हुईं. सभी अपराध डैबिट कार्ड, कै्रडिट कार्ड और इंटरनैट बैंकिंग के माध्यम से हुए हैं.

सर्वाधिक 11 से अधिक मामले निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक में हुए हैं जबकि दूसरे स्थान पर एचडीएफसी बैंक और तीसरे स्थान पर स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक हैं.

सरकार ने जिन 9 बैंकों की सूची जारी की है उन में सरकारी क्षेत्र का बैंक औफ बड़ौदा है जिस में 31 मामले हुए हैं. ऐक्सिस बैंक 660 मामलों के साथ सब से निचले पायदान पर है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 5,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. इन में सब से ज्यादा अपराध क्रैडिट कार्ड के हुए हैं.

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