8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. नोटबंदी की घोषणा करते समय पीएम मोदी ने कहा था कि ये ऐलान इसलिए किया जा रहा है ताकि देश में भ्राष्टाचार और कालेधन पर लगाम लगाई जा सके. पीएम मोदी की घोषणा के बाद बड़े-बड़े मंत्रियों से लेकर आम जनता तक हैरान हो गई थी.

भले ही लोग परेशान थे और इसमें कोई दोराय नहीं की नोटबंदी के फैसले के बाद लोगों को परेशानियां उठानी पड़ीं लेकिन लोगों के दिल में एक उम्मीद भी थी की शायद इस फैसले के बाद देश की तस्वीर बदलेगी.

इस नोटबंदी ने भारत पर काफी गहरा असर डाला है. जानिए नोटबंदी ने भारत को कितना बदला है और इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर रहा.

इसलिए लाई गई थी नोटबंदी

नोटबंदी लाने की मोदी सरकार ने कई वजहें बताई हैं. इसमें कालेधन का खात्मा करना, सर्कुलेशन में मौजूद नकली नोटों को खत्म करना, आतंकवाद और नक्सल गतिविधियों पर लगाम कसने समेत कैशलेस इकोनामी को बढ़ावा देने जैसे कई वजहें गिनाई गई हैं.

नोटबंदी के बाद लौटा इतना पैसा

नोटबंदी के बाद 1.48 लाख बैंक खातों में 1.48 लाख करोड़ रुपये जमा किए गए. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में इसकी जानकारी दी थी. उन्होंने बताया कि इनमें से हर खाते में कम से कम 80 लाख रुपये जमा किए गए थे. 1.48 लाख बैंक खातों में औसत डिपोजिट 3.3 करोड़ रुपये रही.

दो तिहाई बंद नोट वापस आए

छोटी डिपोजिट्स की बात करें, तो 2 लाख रुपये से लेकर 80 लाख रुपये तक इसमें शामिल किए गए हैं. लगभग 1.09 करोड़ बैंक खातों में इस दायरे में रकम जमा की गई. इन खातों में औसत डिपोजिट 5 लाख रुपये की थी. एक अनुमान के मुताबिक नोटबंदी के बाद बंद नोटों का दो तिहाई भाग वापस बैंकिंग सिस्टम में लौटा है.

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