हाल ही में प्रदर्शित संदीप वेंगा रेड्डी के निर्देशन में बनी फिल्म ' एनिमल ' ने काफी सुर्खियां बटोरीं. इस फिल्म में मुख्य कलाकार रणबीर कपूर, रश्मिका मंदाना, अनिल कपूर और बौबी देओल हैं. फिल्म हिट रही और खूब कमाई भी कर रही है. यानी व्यापार के पैमाने पर फिल्म की कामयाबी में कोई संदेह नहीं. मगर क्या फिल्म एक सार्थक संदेश देने और महिलाओं के साथ न्याय करने में सफल रही? मुझे नहीं लगता कि ऐसा है. दरअसल यह और इस के जैसी ही साल 2023 में आई ज्यादातर फिल्में कहीं न कहीं महिलाओं को कमजोर और पुरुषों के द्वारा शासित दिखा रही हैं. फिल्मों के जरिए खामोशी से उन पूर्वाग्रहों को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है कि महिलाएं कमजोर हैं.

'एनिमल' फिल्म की बात करें तो यह आधुनिक स्त्रियों की कहानी है लेकिन उन की जिंदगी पर नियंत्रण उन का नहीं है. फिल्म हिंसक, दबंग, धौंस वाली मर्दानगी को बढ़ावा देती है.
स्त्री की आजादी पुरुषों के हाथ में

फिल्म की बुनियाद एक शब्द है और वह है अल्फा मर्द यानी स्ट्रोंग मर्द बंदे. ऐसे मर्द दबंग होते हैं. धौंस जमाने वाले होते हैं. वे स्त्रियों पर नियंत्रण रखते हैं. अल्फा मर्द स्त्रियों को भी एक खास भूमिका में कैद कर के रखते हैं. वे आज़ादी देते हैं लेकिन स्त्री की आज़ादी की डोर अपने हाथ में रखते हैं.

फिल्म के एक दृश्य में फिल्म का हीरो यानी रणबीर जब स्कूल में पढ़ता है तो उस की बड़ी बहन को कौलेज में कुछ लड़के काफी परेशान करते हैं. जब रणबीर को यह पता चलता है तो वह भरी क्लास में बड़ी बहन को ले कर पहुंच जाता है. क्लास में गोलियां चलाता है और बड़े गर्व से बहन से कहता है, 'तेरी सेफ्टी के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं'

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