रेटिंग: साढ़े तीन स्टार

निर्माताः अरित्रा दास और शैलेंद्र कुमार

लेखक निर्देशकः राम कमल मुखर्जी

कलाकारः लिलेट दुबे, सेलिना जेटली हाग, अजहर खान और श्री घटक

अवधिः 47 मिनट

औरत के अकेलेपन, प्यार का इंतजार के साथ ही मानवीय रिश्ते की काव्यमय प्रस्तुति का नाम है  राम कमल मुखर्जी की फिल्म ‘‘सीजंस ग्रीटिंग्स’’. मानवीय भावनाओं के गहरे पक्षों को पेश करती यह फिल्म हवा के ताजे झोके की तरह आपके दिलो दिमाग में न सिर्फ बस जाती है, बल्कि बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देती है. इतना ही नही मां बेटी की इस कहानी में फिल्मसर्जक राम कमल मुखर्जी ने मशहूर फिल्मकार स्व.रितुपर्णा घोष को ट्रिब्यूट देने के लिए जो खूबसूरत तरीका अपनाया है, उसके लिए वह बधाई के पात्र हैं. इसके लिए राम कमल ने रितुपर्णा घोष की फिल्मों के नाम या उनकी फिल्मों के किरदारों के नाम का बड़ी खूबसूरती से उपयोग किया है.

कहानीः

फिल्म की शुरूआत  सुचित्रा ( लिलेट दुबे) के खुद को संबोधित पत्र में लिखी कविता ‘खामोशी को कभी सुना है..’ पढ़ने वाले सीन के साथ होती है. उसके बाद रोमिता (सेलिना जेटली) और उसमान (अजहर खान ) के बीच संभोग दृष्य आता है. इसके बाद रोमिता व उस्मान के बीच दिलचस्प बातचीत के साथ कहानी खुलती है. रोमिता (सेलिना जेटली) अपने ब्वॉयफ्रेंड उस्मान (अजहर खान) के साथ मुंबई में ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहती है. उनकी मॉ सुचित्रा (लिलेट दुबे) कलकत्ता में रहती है.

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रोमिता व उस्मान विज्ञापन जगत से जुड़े हुए हैं. काम के सिलसिले में शहरों में घूमते रहते हैं. दोनों मॉडर्न हैं. नाम के अनुसार ही रोमिता हिंदू और उस्मान मुस्लिम/इस्लाम धर्म से है. पांच सितंबर की रात रोमिता अपने ब्वॉयफ्रेंड उस्मान को पहली बार अपनी मां से मिलवाने लेकर आती है. मां से उस्मान को मिलवाने के पीछे रोमिता का मकसद मां को बताना है कि भविष्य में यह उसका पति बन सकता है.

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