मेहतन करने से ही हम अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं और अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं. पर उम्र का एक ऐसा पड़ाव आता है कि उस उम्र में हमें काम से रिटायरमेंट लेना होता है.  लेकिन बौलीवुड में पिछले 40 वर्षो से एक्टिंग करने वाली 73 साल की एक्ट्रेस सुरेखा सीकरी रिटायरमेंट शब्द का अर्थ ही नहीं जानतीं.

वह इतने साल बाद भी एक्टिंग के मामले में हथियार डालने को तैयार नहीं हैं. उन्हें सुपरहिट फिल्म 'बधाई हो' में दकियानूसी दादी मां के किरदार में दर्शकों का काफी प्यार मिल रहा है. रिपोर्टस के मुताबिक उन्होंने कहा, 'रिटायरमेंट? मैं इस शब्द को जानती तक नहीं हूं. इसका क्या अर्थ होता है.वें कहती हैं, यह एक बहुत ही पुराना हो चुका अंग्रेजी का सिद्धांत है कि आप कुछ करते हैं और फिर रिटायर हो जाते हैं. और यह ज्यादातर सरकारी नौकरी पर लागू होता है. सौभाग्य से मैं एक फ्रीलांसर हूं और रिटायर होने की मेरी कोई इच्छा नहीं है. मैं तो बस काम करते रहना चाहती हूं.

जब सुरेखा से पूछा गया कि फीमेल एक्ट्रर्स के लिए पुराने जमाने और आज के जमाने में क्या कुछ बदलाव आया है? तो उन्होंने कहा, आज ज्यादा खुलापन है. लोग किसी भी चीज को स्वीकारने और उस बारे में बात करने को तैयार हैं. पहले यदि हम बौलीवुड के बारे में बातें करते थे तो सिर्फ अच्छी-अच्छी ही बातें करते थे, और तय फौर्मूले पर चलते थे.

आपको बता दें छोटे पर्दे पर सुरेखा को खासतौर से 'बालिका वधू' में दादीसा के किरदार के अलावा 'सात फेरे-सलोनी का सफर', 'एक था राजा एक थी रानी', 'परदेस में है मेरा दिल' और 'जस्ट मोहब्बत' में उनके बेहतरीन अभिनय के लिए जाना जाता है. उन्होंने अपना फिल्मी सफर 1978 में आपातकाल के दौरान रिलीज हुई फिल्म 'किस्सा कुर्सी का' से शुरू की थी, जो राजनीति पर आधारित थी. उसके बाद उन्होंने रंगमंच, टेलीविजन और फिल्मों  में काम कर मशहूर हुई. नेशनल अवार्ड विनर सुरेखा का कहना है कि  आज की चीजों को देखते हुए मैं अक्सर सोचती हूं कि मुझे 40-50 साल बाद पैदा होना चाहिए था. लेकिन कोई नहीं, मेरे जैसे लोगों के लिए यहां कई सारी भूमिकाएं हैं.

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