Raj Kapoor नेहरुवादी सामाजिक सोच को ले कर चल रहे थे लेकिन उन की लगभग हर फिल्म के लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास साम्यवादी विचारधारा से प्रेरित थे. यह एक वजह भी है कि राज कपूर की फिल्मों में समाजवादी मिश्रण नजर आया और उन्होंने वर्ग संघर्षों से जनित आम लोगों पर हो रहे सामाजिक बदलाओं को परदे पर उतारा.

अब हिंदी फिल्में बेहूदगी परोसने पर उतर आई हैं, जबकि राज कपूर ने हमेशा सामाजिक मुद्दों, सामाजिक सरोकारों से जुड़ी फिल्मों का ही निर्माण किया. राज कपूर ने सदैव अपनी फिल्मों में सामाजिक अन्याय की दुनिया में आम आदमी के भाग्य पर केंद्रित सामाजिक संदेशों के साथ रोमांस का मिश्रण करती फिल्मों का ही निर्माण किया था.

raj kapoor

 

Raj Kapoor का सफर

राज कपूर ने अपनी पहली फिल्म ‘आग’ से ही नई तरह की कहानी कहने की शुरुआत की और आवारा और श्री 420 जैसी फिल्मों में सामाजिक मुद्दों को संबोधित किया, जिस से वह स्वतंत्रता के बाद के सिनेमाई प्रतिभा के प्रतीक बन गए. उन की फिल्मों ने विभाजन के बाद के भारत की वास्तविकताओं, आम आदमी के सपनों और ग्रामीण-शहरी विभाजन की खोज की. जिस के चलते राज कपूर का सिनेमा भावना, नवीनता और मानवतावाद का पर्याय बन गया.
14 दिसंबर 1924 को पेशावर में जन्मे भारतीय सिनेमा जगत के शो मैन राज कपूर का जन्म शताब्दी है. Raj Kapoorके परिवार ने एनएफडीसी के साथ मिल कर 13 दिसंबर से 15 दिसंबर तक राजकपूर की सौंवी जयंती मनाई और इस अवसर पर देश के 40 सिनेमाघरों में दर्शकों ने कम कीमत पर राज कपूर की चुनिंदा 10 फिल्में दिखाई. अब 18 दिसंबर को मुंबई में फिल्म कलाकारों की संस्था ‘सिंटा’ ने राज कपूर की सौंवी जयंती पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया. अफसोस की बात है कि राज कपूर के परिवार ने या अन्य जो लोग राज कवूर की सौंवीं जयंती मनाते हुए उन की फिल्मों पर विचार गोष्ठी आदि का कोई आयोजन नहीं कर रही है.

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