फिल्म ‘फिल्मिस्तान’ से चर्चित होने वाले निर्देशक और पटकथा लेखक नितिन कक्कड़ मुंबई के है. उन्हें हमेशा से कुछ अलग काम करने की इच्छा थी और इसी वजह से उन्होंने लीक से हटकर फिल्में बनायी और सफल रहें. उनकी फिल्म ‘फिल्मिस्तान’ ने कई अवार्ड जीते और उन्हें अच्छा काम करने का हौसला मिला. उनकी फिल्म ‘नोटबुक’ रिलीज पर है, जिसमें उन्होंने प्यार को एक अलग अंदाज़ में परिभाषित करने की कोशिश की हैं. उनसे मिलकर बात हुई,पेश है अंश.
बिना किसी को देखे ‘लव स्टोरी’ को दिखाना, आज के परिप्रेक्ष्य में कितना मायने रखती है?
प्यार तो प्यार है, ये कभी भी हो सकता है. पहले आप सूरत से प्यार करते हैं फिर सीरत से और ये हमेशा से होता आया है. जब आप किसी के लिखावट से प्यार करते हैं, तो दिमाग में उस व्यक्ति की एक छवि बन जाती है और फिर आप उससे मिलने की कोशिश करते हैं. ये आज भी होता है. केवल उसका माध्यम अब सोशल मीडिया ने ले लिया है.
आज प्यार की परिभाषा बदल चुकी है, आपने इस फिल्म में इसे कैसे दिखाने की कोशिश की हैं?
आजकल लव में लस्ट अधिक हो चुका है, पर मैंने इस फिल्म में प्यार के असली रूप को दिखाने की कोशिश की है. आज की जेनरेशन ‘मूव औन’ वाली है, जो किसी चीज की परवाह किये बिना आगे निकल जाती है और वे ‘ट्रायल एन एरर’ के सिद्धांत पर चलती है, जो कभी ठीक होता है, तो कभी गलत. मैंने ऐसे कई ओल्ड कपल को देखे है, जो रोज सुबह साथ में टहलते हैं और मुझे उस दृश्य को देखना बहुत अच्छा लगता है. मैं आज भी इस ओल्ड स्कूल थाट पर विश्वास करता हूं.